जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुई एक नई रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्वी का पोल पिछले तीस वर्षों में लगभग 80 सेंटीमीटर हो गया है. नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी, यूएस के एक शोध वैज्ञानिक सुरेंद्र अधिकारी ने भी इस रिपोर्ट को महत्वपूर्ण माना है.
Phys.org के अनुसार, पृथ्वी का ध्रुव (Pole) 1993 और 2010 के बीच लगभग 80 सेंटीमीटर पूर्व में शिफ्ट हो गया है. यह पुनर्विभाजन (Redistribution) मुख्य रूप से पश्चिमी उत्तरी अमेरिका और उत्तर-पश्चिमी भारत में देखा गया है.
80 सेंटीमीटर शिफ्ट हुआ अर्थ पोल:
एक्सियोस (Axios) के अनुसार, 1990 के दशक में पृथ्वी के घूर्णन अक्ष की दिशा बदल गई थी. ग्लेशियरों के पिघलने, ग्राउंड वाटर की अत्यधिक पम्पिंग, समुद्र के जलस्तर का लगातार बढ़ना इसके पीछे का मुख्य कारण माना जाता था.
एक्सियोस की रिपोर्ट के अनुसार, 1993-2010 के दौरान भूजल की कमी और समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण पृथ्वी का ध्रुव 4.36 सेमी/वर्ष की गति से 64.16 डिग्री E की ओर शिफ्ट हो गया है.
क्या कहती है नई रिपोर्ट:
वर्ष 2016 में, शोधकर्ताओं ने Phys.org की एक रिपोर्ट के माध्यम से इस बात का अध्ययन किया गया कि, पृथ्वी के घूर्णन को बदलने के लिए भूजल कितना जिम्मेदार है.
इस वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने पहले अनुमान लगाया था कि 1993 से 2010 तक धरती से 2,150 गीगाटन भूजल को पंप किया था जो समुद्र के स्तर में छह मिलीमीटर से अधिक वृद्धि के बराबर है. हालांकि इस अनुमान को मान्य करना थोड़ा कठिन है.
भूजल निकास भी है एक कारण:
दक्षिण कोरिया में सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के एक भूभौतिकीविद् की-वेन सेओ ने वेबसाइट को बताया कि, "पृथ्वी का घूर्णन ध्रुव वास्तव में बहुत कुछ बदलता है" इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले एसईओ ने कहा कि "हमारे अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु से संबंधित कारणों में, भूजल का पुनर्वितरण वास्तव में घूर्णी ध्रुव के परिवर्तन पर सबसे बड़ा प्रभाव डालता है."
क्या है रिसर्च हाइलाइट्स:
रिसर्च से जुड़े एसईओ ने Nature.com से कहा कि, सतह के जलाशयों में परिवर्तन के प्रभावों को जोड़ने से मदद नहीं मिली इसलिए यह कहा जा सकता है कि इसके पीछे भूजल एक प्रभाव हो सकता है.
एक्सियोस के अनुसार, शोधकर्ताओं ने पृथ्वी के घूर्णी ध्रुव की शिफ्टिंग और पानी की गति में देखे गए परिवर्तनों का अध्ययन किया गया. इससे पहले केवल बर्फ की परतों और ग्लेशियरों का ही अध्ययन किया गया था.
डाउन टू अर्थ ने इसी पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि 1995 में पोल ड्रिफ्ट दक्षिण से पूर्व की ओर चला गया था. वेबसाइट के अनुसार, 1995 और 2020 के बीच ड्रिफ्ट की औसत गति 1981-1995 की तुलना में 17 गुना तेज थी.
इसका भारत से क्या है कनेक्शन:
इस अध्ययन में पाया गया कि सबसे अधिक पानी का पुनर्विभाजन (Redistribution) पश्चिमी उत्तरी अमेरिका और उत्तर पश्चिमी भारत में किया गया. इस अध्ययन में जुड़े एसईओ ने बताया कि मैं यह देखकर चिंतित और हैरान हूं कि भूजल को पंप करना समुद्र के स्तर में वृद्धि का एक और स्रोत है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि घूर्णी ध्रुव सामान्य रूप से लगभग एक वर्ष के भीतर कई मीटर तक बदल जाता है, इसलिए भूजल पम्पिंग के कारण होने वाले परिवर्तनों से मौसम बदलने का जोखिम कम होता है.
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