अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 01 दिसंबर 2017 को विश्व एड्स दिवस मनाया गया. इस अवसर पर प्रत्येक देश में जागरुकता कार्यक्रम, चर्चा एवं गोष्ठियां आयोजित की गयीं. अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा वर्ष 2017 के लिए ‘एवरीबडी काउंट्स’ विषय निर्धारित किया गया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व एड्स दिवस-2017 के साथ "स्वास्थ्य का अधिकार" अभियान को भी प्रसारित किया जा रहा है. इस उपलक्ष्य में विश्व स्वास्थ्य संगठन एचआईवी से संक्रमित 36.7 मिलियन लोगों की आवश्यकताओं को उजागर किया जा रहा है.
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विश्व एड्स दिवस पर कार्यक्रम
लोगों में जागरुकता बढ़ाने और उस विशेष वर्ष के विषय के सन्देश को प्रसारित करने के लिये विश्व एड्स दिवस पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. लोगों के बीच में जागरुकता बढ़ाना ही कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य है. इस अवसर पर भारत सरकार द्वारा जागरुकता अभियान चलाया गया. विश्व एड्स दिवस के हिस्से के तौर पर, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने यह कहते हुए कि 15 वर्ष के बच्चों के बीच संक्रमण को रोकना अधिक जरूरी है अधिक निवेश एवं बच्चों तक उपचार की पहुंच बढ़ाने पर जोर दिया.
पृष्ठभूमि
विश्व एड्स दिवस के बारे में पहली बार वर्ष 1987 में थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न द्वारा विचार व्यक्त किये गये थे. थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न दोनों विश्व स्वास्थ्य संगठन जिनेवा, स्विट्जरलैंड के एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के लिए सार्वजनिक सूचना अधिकारी थे.
उन्होंने एड्स दिवस का अपना विचार डॉ. जॉननाथन मन्न (एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के निदेशक) को व्यक्त किया. इस विचार पर चर्चा के उपरांत इसे स्वीकृति प्रदान की गयी तथा वर्ष 1988 में 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रुप में मनाना आरंभ किया गया.
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