विश्व बैंक ने बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (DRIP) के तहत छह राज्यों में 220 से अधिक बड़े बांधों के पुनर्वास और आधुनिकीकरण के लिये 137 मिलियन डॉलर (लगभग 960 करोड़ रुपए) का अतिरिक्त वित्तपोषण प्रदान किया है.
यह बांध कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और उत्तराखंड में स्थित हैं. पूर्व में विश्व बैंक ने डीआरआईपी के तहत वित्तपोषण के लिये 350 मिलियन डॉलर (लगभग 2450 करोड़ रुपए) की मंज़ूरी दी थी.
बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना
इस परियोजना को विश्व बैंक की सहायता के साथ जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय के तहत केंद्रीय जल आयोग (CWC) द्वारा 2012 में लॉन्च किया गया था. मूल रूप से यह योजना जून 2018 में समाप्त करने के उदेश्य से छह साल के लिए निर्धारित की गई थी. योजना की कुल लागत 2100 करोड़ रुपये की थी, जिसमें राज्य घटक 1968 करोड़ रुपये और केंद्रीय घटक 132 करोड़ रुपये का था. व्यय वित्त समिति (ईएफसी) की बैठक द्वारा विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (डीआरआईपी) की लागत और समय सीमा को 2020 तक बढ़ाकर 46666 करोड़ रूपये कर दिया गया है.
मुख्य घटक
- इस परियोजना के अंतर्गत चार राज्यों - मध्य प्रदेश, ओडि़शा, केरल और तमिलनाडु में लगभग 225 वृहत बांधों का पुनर्वास किया जाएगा. तत्पश्चात, तीन अन्य राज्यों/संगठनों (कर्नाटक, उत्तरांचल जल विद्युत निगम लिमिटेड और दामोदर घाटी कार्पोरेशन) में भी डीपीआईआर को लागू किया जायेगा.
बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (डीपीआईआर) के उद्देश्य हैं: |
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- डीपीआईआर के उद्धेश्य भौतिक और प्रौद्योगिक बांध सुधारों, बांध प्रचालनों का प्रबंधकीय उन्नयन, संस्थागत सुधारों सहित प्रबंधन और अनुरक्षा के जरिए हांसिल किए जा सकते हैं.
- डीआरआईपी के लिए परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियां हैं - चार प्रतिभागी राज्यों के जल संसाधन विभाग और तमिलनाडु, केरल के राज्य विद्युत बोर्ड, दामोदर घाटी कार्पोरेशन और उत्तराखंड जल विद्युत निगम.
- परियोजना के समग्र कार्यान्वयन का समन्वय प्रबंधन और इंजीनियरी परामर्शी फर्म की सहायता से केंद्रीय जल आयोग करेगा.
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