अरब लीग के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र और विश्व समुदाय से अनुरोध किया है कि वे सीरिया में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल रोकने हेतु राष्ट्रपति बशर अल असद के नेतृत्व वाली सरकार के विरुद्ध प्रतिरोधक और जरूरी उपाय करें. लेकिन अरब लीग ने अमेरिका द्वारा प्रस्तावित सैन्य हमले का समर्थन नहीं किया है और अमेरिका के इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं है क्योंकि यहां के कई देश सीरिया में विदेशी हस्तक्षेप के विरुद्ध हैं.
इस बीच, काहिरा में सुन्नी समुदाय की शीर्ष तालीमी संस्था अल अजहर ने सीरिया पर किसी भी तरह के अमेरिकी हमले के विरोध की घोषणा की.
काहिरा में अरब लीग की बैठक में विदेश मंत्रियों ने सीरिया सरकार के विरुद्ध वहां रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल को लेकर निर्णायक कार्रवाई का प्रस्ताव 1 सितम्बर 2013 को पारित किया. बैठक में निर्णय किया गया कि रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल करने वालों के विरुद्ध युद्ध अपराधियों जैसा बर्ताव किया जाना चाहिए. लेबनन, इराक और अलजीरिया ने प्रस्ताव के विरुद्ध में वोट डाले, जबकि सीरिया अरब लीग से निलंबित है.
सीरिया सरकार के विरुद्ध सैन्य कार्रवाई का कारण
सीरिया सरकार के विरुद्ध सैन्य कार्रवाई का कारण युद्ध अपराध है. दरअसल ब्रिटिश ख़ुफ़िया तंत्र इस नतीजे पर पहुंचा था कि सीरियाई सरकार ही अगस्त 2013 में हुए कथित रासायनिक हमले के लिए ज़िम्मेदार है. रासायनिक हथियारों के कथित हमलों में 300 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. इसके साथ ही अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन इस बात पर सहमत हुए थे कि सीरिया में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. दोनों में इस बात पर भी सहमति थी कि इसके लिए सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद के नेतृत्व वाली सरकार जिम्मेदार थी.
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