उच्चतम न्यायालय ने 10 दिसंबर 2013 को केंद्र तथा राज्यों को देश भर में 22 केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) अदालतों के क्रियान्वयन का निर्देश दिया. इसके लिए उच्चतम न्यायालय ने चार महीनों की समय सीमा निर्धारित की है. इन अदालतों के माध्यम से राजनीतिज्ञों तथा नौकरशाहों के विरूद्ध भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई की जानी है.
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जीएस सिंघवी तथा न्यायाधीश सी नागप्पन वाली दो सदस्यीय खण्डपीठ ने माना कि भ्रष्टाचार के मामलों के त्वरित निपटारे हेतु इन सीबीआई की अदालतों की स्थापना आवश्यक है.
विदित हो कि उच्चतम न्यायालय ने इस वर्ष की 30 जनवरी को भी केंद्र तथा राज्यों को देश भर में 22 सीबीआई अदालतों के क्रियान्वयन का निर्देश दिया था. उस समय भी न्यायालय ने दो माह का समय दिया था.
क्या है मामला?
उच्चतम न्यायालय ने इस संबंध में जुलाई 2009 में प्रधानमंत्री द्वारा विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रीयों को लिखे उस पत्र का संदर्भ दिया जिसमे भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की सुनवाई हेतु विशेष अदालतों के गठन का अनुरोध किया गया था. केंद्र सरकार ने भष्टाचार के मामलों की सुनवाई हेतु वर्ष 2009 में विभिन्न राज्यों में 71 अतिरिक्त विशेष अदालतों के गठन का निर्णय लिया था. उच्चतम न्यायालय वर्ष 2011 से ही भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई हेतु विशेष अदालतों के गठन के निर्देश जारी करता रहा है लेकिन इनका गठन अभी तक संभव नहीं हो सका.
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