उच्चतम न्यायालय ने 28 अक्टूबर 2013 को सहारा समूह को आदेश दिया कि वे 20000 करोड़ रुपये की संपत्ति के कागजात भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को सौंपने आदेश दिये. उच्चतम न्यायालय ने संपत्ति के कागजात सेबी को सौंपने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया.
सेबी तथा सहारा समूह के बीच चल रहे विवाद की सुनवाई कर रही उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के एस राधाकृष्णन एवं न्यायाधीश जे एस खेहड़ की दो सदस्यीय पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए आदेश दिया कि यदि सहारा समूह कागजात सेबी को नहीं सौंपता है तो समूह के प्रमुख सुब्रत राय को देश से बाहर नही जाने दिया जाएगा.
पीठ ने सहारा समूह के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा, “सहारा समूह ने उच्चतम न्यायालय एवं सेबी दोनो से सच को छुपाया है तथा समूह पर विश्वास नहीं किया जा सकता है.”
क्या है मामला?
सेबी ने सहारा समूह कंपनियों सहारा इंडिया रियल स्टेट तथा सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कार्पोरेशन के प्रवर्तक सुब्रत राय के विरूद्ध पब्लिक इश्यू नियमों की अवमानना के कारण उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी. सेबी ने सहारा इंडिया रियल स्टेट तथा सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कार्पोरेशन पर आरोप लगाया था कि दोनो कंपनियों ने ने पूर्ण रूप से विकल्पीय परिवर्तनीय ऋण-पत्रों के माध्यम से 24000 करोड़ रुपये जुटाए थे. साथ ही, सहारा समूह के विरूद्ध निवेशकों के धन लेने तथा धोखा-धड़ी के आरोप लगाये जाते रहे हैं, जिससे हजारों निवेशकों को नुकसान हुआ है.
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