उत्तर कोरिया ने अमेरिका से युद्ध के खतरे और दक्षिण कोरिया से टकराव की आशंका को देखते हुए अपने बचाव के लिए परमाणु शक्ति बढ़ाने का निर्णय 15 जून 2013 को किया.
इसी के साथ उत्तर कोरिया ने अपना परमाणु प्रतिरोध विकसित करने का एक ताजा संकल्प किया. अमेरिका और दक्षिणी कोरिया द्वारा चलाए जा रहे युद्ध अभ्यास के कारण किसी भी क्षण परमाणु युद्ध शुरू हो सकता है, इसी कारण से यह संकल्प लिया गया.
इससे पहले दोनों कोरियाई देश 6 वर्षों में पहली उच्चस्तरीय वार्ता 12-13 जून 2013 को सोल में आयोजित करने के लिए राजी हो गए थे लेकिन प्रोटोकॉल संबंधी एक विवाद के चलते अंत समय पर इसे रद्द कर दिया गया. फरवरी 2013 में उत्तर कोरिया द्वारा किए गए तीसरे परमाणु परीक्षण के बाद हुए कई माह के सैन्य तनाव के बाद वार्ताओं की इस शुरूआत को आगे बढ़ने के एक कदम के रूप में देखा जा रहा था लेकिन इसके रद्द होने से इसपर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
विदित हो कि उत्तरी कोरिया और दक्षिणी कोरिया के बीच 23 नवंबर 2010 को येलो समुद्र के आर पार युद्ध हुआ था. उत्तर कोरिया की सेना ने विवादित पश्चिमी सीमा पर स्थित दक्षिण कोरिया के योंगपेयांग द्वीप पर गोलाबारी की थी. उत्तर कोरिया योंगपेयांग द्वीप को दक्षिण कोरिया का हिस्सा नहीं मानता है और यही योंगपेयांग द्वीप दोनों देशों के बीच सीमा विवाद की वजह है. दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया पर वर्ष 1953 में हुए अर्मिसटाईस समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया था.
उत्तर कोरिया ने पूर्वी समुद्री क्षेत्र से कम दूरी की मिसाइल का परीक्षण किया...
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