एमजीआई ने गरीबी से सशक्तिकरण की रिपोर्ट जारी की

Feb 26, 2014, 11:09 IST

मैककिन्से वैश्विक संस्थान ने 19 फ़रवरी 2014 को रोजगार, विकास और प्रभावी बुनियादी सेवाओं से संबधित- गरीबी से सशक्तिकरण पर एक रिपोर्ट जारी की.

मैककिन्से वैश्विक संस्थान (एमजीआई) ने 19 फ़रवरी 2014 को रोजगार, विकास और प्रभावी बुनियादी सेवाओं से संबधित- गरीबी से सशक्तिकरण पर एक रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट में 1994 के 45% से 2014 तक 22% कमी के लिए भारत की प्रशंसा की गयी है और आर्थिक रूप से गरीबी में रहने वाले लोगों को सशक्त बनाने के लिए एक नया राष्ट्रीय लक्ष्य बनाने का सुझाव दिया गया है.

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इस लक्ष्य को साकार करने के लिए, मैक्किंज़े वैश्विक संस्थान (एमजीआई) ने सशक्तिकरण रूपरेखा बनायी है. सशक्तिकरण रूपरेखा एक विश्लेषणात्मक रूपरेखा है जो आठ बुनियादी जरूरतें खाद्य, ऊर्जा, आवास, पेयजल, स्वच्छता, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, और सामाजिक सुरक्षा-एक सभ्य समाज के स्तर को पूरा करने के लिए आवश्यक उपभोग के स्तर निर्धारित करता है.

सशक्तिकरण रूपरेखा के आधार पर रिपोर्ट के मुख्य आकर्षण

•    2012 में, जनसंख्या के 56 प्रतिशत लोगों के पास आवश्यक जरूरतों को पूरा करने के लिए साधनों का अभाव था.
•    सशक्तिकरण गैप, या सशक्तिकरण रेखा के स्तर पर 680 मिलियन लोगों को लाने के लिए आवश्यक अतिरिक्त खपत, आधिकारिक गरीबी रेखा की परिभाषा के अनुसार गरीबी दूर करने की लागत की तुलना में सात गुना अधिक की आवश्यकता है.
•    भारतीय परिवारों की जरुरतों के औसतन बुनियादी सेवाओं के उपयोग में 46 प्रतिशत तक कमी है  और ये सामाजिक बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता में विस्तृत भौगोलिक असमानताओं को पहचान कराती हैं.
•    रोजगार सृजन और उत्पादकता लाभ में जीवन स्तर में ऐतिहासिक सुधार के लिए सबसे शक्तिशाली साधनों का प्रयोग किया गया है. भारत में गहरे सुधारों की जरूरत जो कि निवेश के मानदंडों और किराये के व्यवसायों को प्रोत्साहित कर सकते हैं.
•    2022 में एक तिहाई से अधिक जनसंख्या सशक्तिकरण रेखा से नीचे रहेगी और अगर कोई प्रमुख सुधार नहीं किए जाते हैं तो यह 12 प्रतिशत अत्यधिक गरीबी में अटके रह सकते हैं.
•    MGI के अनुसंधान की महत्वाकांक्षी रूपरेखा अभी तक समावेशी सुधारों में आर्थिक रूप से मजबूत है जो 2022 तक, गरीबी को नष्ट करते हुए सशक्तिकरण रेखा से ऊपर 580 मिलियन लोगों को उपर ला सकती है.

इस संबंध में रिपोर्ट की चार प्रमुख प्राथमिकताओं को रेखांकित किया है

•    तेज रोजगार सृजन
भारत एक बढ़ती हुई जनसंख्या को समायोजित करने और रोजगार में कृषि के समग्र शेयर को कम करने के लिए अगले एक दशक में 115 लाख नए गैर कृषि नौकरियों जोड़ने की जरूरत है.

•    खेतों की उत्पादकता को बढ़ाना
कृषि के बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने और बाजार पहुंच में मूल्य समर्थन युक्तिसंगत, सुधार तथा नई तकनीक को अपनाने का विस्तार, और कृषि प्रशासन का विस्तार तथा सेवाओं को कारगर बनाने के लिए सुधारों को लागू करने से 5.5 प्रतिशत तक की वार्षिक आय की वृद्धि को हासिल करने में मदद मिल सकती हैं. यह पैदावार भारत को 2022 तक यह अन्य उभरते एशियाई देशों में की कतार में शामिल करा सकती है।

•    बुनियादी सेवाओं पर सार्वजनिक खर्च बढ़ाना
सबसे महत्वपूर्ण अंतराल को भरने, बुनियादी सेवाओं पर सार्वजनिक खर्च करने के लिए 2022 के मध्यनजर प्रतिवर्ष लगभग 6.7 प्रतिशत तक वास्तविक रूप में विकसित करने की आवश्यकता होगी.अगर राजकोषीय संसाधन उपलब्ध हो जाते हैं तो भारत में तेजी से सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर हासिल किया जा सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य देखभाल, पानी, और सफाई के लिए आवंटित हिस्से को दोगुना करने की जरूरत है.

•    बुनियादी सेवाओं को और अधिक प्रभावी बनाने की जरुरत
वर्तमान में भारत की आधी से ज्यादा जनसंख्या की बुनियादी सेवाओं पर सार्वजनिक खर्च करने से भी गरीबों के स्तर के लिए बेहतर परिणाम नहीं आ रहे हैं. सबसे कुशल रणनीतियों में जैसे कुछ निजी और सामाजिक क्षेत्र के साथ साझेदारी बनाने समुदाय की भागीदारी को जुटाने, और अभियान को कारगर बनाने तथा निगरानी करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल है .

मैककिन्से वैश्विक संस्थान
मैककिन्से वैश्विक संस्थान (एमजीआई), मैकिन्से के व्यवसाय और अर्थशास्त्र अनुसंधान शाखा, उभरती वैश्विक अर्थव्यवस्था की एक गहरी समझ को विकसित करने के उद्देश्य से 1990 में स्थापित किया गया था. जिसका लक्ष्य तथ्यों और अंतर्दृष्टि के साथ, वाणिज्यिक, सार्वजनिक और सामाजिक क्षेत्रों में अगुवा प्रदान करना है जो प्रबंधन और नीतिगत फैसलों पर आधारित हों.

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