आस्ट्रेलियाई सरकार ने भारत के लिए नए कोलंबो प्लान का आरंभ 4 सितंबर 2014 को मुंबई विश्वविद्यालय में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट ने किया.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट की दो दिनों के भारत दौरे के दौरान इस प्लान का शुभारंभ किया गया और समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. टोनी एबोट 4 सितंबर से 5 सितंबर 2014 तक दो दिनों के भारत दौरे पर थे.
प्लान का शुभारंभ दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के बीच छात्रों के आदान–प्रदान और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया. समारोह में विश्वविद्यालयों के बीच चौदह समझ ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए.
नए कोलंबो प्लान का उद्देश्य
कैनबरा के नए कोलंबो प्लान का उद्देश्य ऑस्ट्रेलिया के अंडरग्रेजुएट छात्रों को भारत में अध्ययन करने के लिए सहयोग कर भारत–प्रशांत क्षेत्र के ज्ञान का लाभ उठाना है.
प्लान में शामिल है
एक वर्ष के अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति कार्यक्रम
इंटर्नशिप या मेंटरशिप
लघु और लंबी अवधि के अध्ययन के लिए लचीला गतिशील अनुदान कार्यक्रम
प्लान अगले अकादमिक सत्र से लागू किया जाएगा
दोनों पक्षों की तरफ से समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने वाले निकाय
भारत ऑस्ट्रेलिया
मुंबई विश्वविद्यालय डीएकिन विश्वविद्याल
हैदराबाद विश्वविद्यालय द स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी
कलकत्ता विश्वविद्यालय द यूनिवर्सिटी ऑफ क्वीन्सलैंड, मेलबर्न एवं अन्य
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय
आईआईटी, मद्रास
समझौता ज्ञापन के अनुसार, कार्यक्रम के फंड का विभाजन ऑस्ट्रेलिया की सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के बीच होगा. दोनों ही निकाय इस प्लान के दोनों तरफ के आदान– प्रदान का लक्ष्य हासिल करने के उद्देश्य से आधा– आधा फंड देंगें.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने अपना दौरा मुंबई से शुरु किया और अपने दौरे के दौरान उन्होंने 26/11 के आतंकी हमलों में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी और फिर व्यापार जगत के नेताओं को संबोधित किया. इसके अलावा, उन्होंने क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया में महान ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट खिलाड़ियों एडम गिलक्रिस्ट और ब्रेट ली द्वारा आयोजित युवा क्रिकेटरों के सम्मान समारोह में हिस्सा लिया.
कोलंबो प्लान
एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सहकारी आर्थिक और समाजिक विकास के लिए कोलंबो प्लान की कल्पना जनवरी 1950 में कोलंबो, सीलोन (अब श्रीलंका) में आयोजित विदेश मामलों पर राष्ट्रमंडल सम्मेलन में किया गया था. इसकी शुरुआत 1 जुलाई 1951 को दक्षिण और दक्षिणपूर्व एशिया के लोगों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए सहकारी उद्यम के तौर पर हुई थी.
प्लान बनाने और शुरु करने के वक्त इसे दक्षिण और दक्षिणपूर्व एशिया में सहकारी आर्थिक विकास के लिए कोलंबो प्लान कहा गया और इसमें ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, सीलोन, भारत, न्यूजीलैंड और पाकिस्तान–सात राष्ट्रमंडल देश थे. लेकिन अब इस अंतरराष्ट्रीय संगठन में 26 देश है और इसमें गैर–राष्ट्रमंडल देश भी हैं. वर्ष 1977 में नए संविधान को अपनाने के बाद इसका नाम द कोलंबो प्लान फॉर कोऑपरेटिव इकोनॉमिक एंड सोशल डेवलपमेंट इन एशिया एंड द पेसेफिक हो गया था.
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