भारत के मशहूर कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण का पुणे में 26 जनवरी 2015 को निधन हो गया. वह 94 वर्ष के थे.
पांच दशकों से अधिक समय से आरके लक्ष्मण ने अपने कार्टून कैरेक्टर 'कॉमन मैन' के द्वारा समाज के विभिन्न पहलुओं को उकेरा था. राजनीतिक मसलों पर उनके बनाए कार्टून बहुत मशहूर हुए थे. हालांकि बाद में उन्होंने राजनीतिक मसलों पर कार्टून बनाना बंद कर दिया था.
आरके लक्ष्मण ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया के पहले पन्ने पर पॉकेट कार्टून ‘यू सेड इट’ की शुरुआत 1951 में की.
भारत सरकार द्वारा उन्हें वर्ष 1971 में पद्म भूषण और वर्ष 2005 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
आरके लक्ष्मण को पत्रकारिता, साहित्य और सृजनात्मक संवाद कला के लिए वर्ष 1984 में मैगसेसे पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने ही अपने दिल्ली संस्करण में ‘बाबूजी’ नाम से कार्टून शुरू किया था. इसे सैम्युअल बनाते थे. पॉकेट कार्टून ने आरके लक्ष्मण के ‘कॉमन मैन’ को पूरे देश का प्रतीक बना दिया.
आरके लक्ष्मण दिवंगत उपन्यासकार आरके नारायण के भाई थे.
आरके लक्ष्मण का जन्म कर्नाटक के मैसूर में 24 अक्टूबर 1921 को हुआ था. आरके लक्ष्मण के परिवार में उनकी पत्नी एवं लेखिका कमला के अलावा पुत्र श्रीनिवास और पुत्रवधू उषा हैं.
राजनीतिक टीकाकार के रूप में कुट्टी और अबू अब्राहम की रचनाओं में शायद अधिक पैनापन था. परन्तु आरके लक्ष्मण आम आदमी से जुड़े होने के कारण अधिक चर्चित रहे.
आरके लक्ष्मण कुछ हद तक डेविड लॉ से प्रभावित थे. डेविड लॉ कम लाइनों का इस्तेमाल करते थे और उनके कार्टून में विस्तृत जानकारी का अभाव होता था.
आरके लक्ष्मण की आत्मकथा ‘द टनेल ऑफ़ टाइम’ (Tunnel of Time) थी. उन्होंने पौराणिक चरित्र नारद पर आधारित एक एनिमेटेड फिल्म में अपने कार्टूनों के जरिए योगदान दिया.
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