काले धन पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 3 नवम्बर 2015 को शेल कंपनियों के जरिए मनी लांड्रिंग पर काबू पाने के लिए इनके खिलाफ कड़ी निगरानी का सुझाव दिया है. एसआईटी ने कर विभाग व प्रवर्तन निदेशालय सहित विभिन्न विधि प्रवर्तन एजेंसियों से कहा है कि वे विशेषकर एक ही पते पर से परिचालन कर रही कंपनियों को लेकर अधिक सतर्क रहें.
एसआईटी ने काले धन पर अपनी तीसरी रिपोर्ट में यह सुझाव दिया है. यह रिपोर्ट शेल कंपनियों के लाभकारी स्वामित्व से जुड़ी है. इसमें ऐसे 26727 लोगों का उल्लेख है जो 20 से अधिक कंपनियों में निदेशक बने हुए हैं जो कंपनी कानून 2013 का उल्लंघन है. रिपोर्ट के अनुसार कुल मिलाकर 345 ऐसे पते दिखे हैं जिनमें प्रत्येक पते से 20 से अधिक कंपनियां
चलाई जा रही हैं. वहीं 13581 कंपनियां ऐसी हैं जिनके मामले में उनके पते से कम से कम 19 और कंपनियां परिचालित की जा रही हैं.
एसआईटी कीरिपोर्ट में बताया कहा गया है की पूर्ववर्ती कंपनी कानून 1956 की धारा 275 के प्रावधानों के तहत लगभग 77696 कंपनियों को निदेशकों से जुड़े नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया गया है. सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई वाली इस एसआईटी ने शेल कंपनियों के सृजन को रोकने के लिए चौकसी बरतने तथा ऐसी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का सुझाव दिया है.
वित्त मंत्रालय के अनुसार एसआईटी ने कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय से आग्रह किया है कि कंपनी कानून के उल्लिखित उल्लंघन के संबंध में जरूरी कार्रवाई की जाए. एसआईटी ने सीबीडीटी, सीबीईसी व प्रवर्तन निदेशालय से आग्रह किया है कि वे उपरोक्त संदर्भ में कंपनियों के संबंध में सूचनाओं का उचित ढंग से निरीक्षण करे.
इसके साथ ही इसने गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) से एमसीए-21 डेटा की जांच पड़ताल करने को कहा है ताकि नियमों के संभावित उल्लंघन के संकेतों को रेखांकित किया जा सके. वर्तमान में एक ही पते से कई कंपनियों के परिचालन पर रोक के लिए कोई विशेष कानून या नियम नहीं है और एसआईटी चाहती है कि सीबीडीटी, सीबीईसी, ईडी व एफआईयू जैसी विधि प्रवर्तन व खुफिया एजेंसियां इस तरह की कंपनियों के परिचालन की जांच में कड़ी सतर्कता बरतें. शेल कंपनियां उन इकाइयों को कहा जाता है जिनकी स्थापना केवल धन को इधर उधर करने के लिए होती है. ये कंपनियां कोई वास्तविक कारोबार नहीं करती.
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