मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 12वीं योजना के दौरान राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं प्रौद्योगिकी मिशन (एनएमएईटी) को लागू करने का अनुमोदन 5 फरवरी 2014 को किया. मिशन और इसके घटकों का यथा समय विस्तार किया जाएगा और समन्वय के साथ इस कार्यक्रम को लागू किया जाएगा.
इस मिशन के लिए कुल 13073.08 करोड़ रूपये के परिव्यय की व्यवस्था की गई. इसमें भारत सरकार का हिस्सा रूपये 11390.68 करोड़ और राज्यों का भाग 1682.40 करोड़ रूपये निर्धारित है.
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राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं प्रौद्योगिकी मिशन के घटक
एनएमएईटी के प्रमुख चार घटक हैं.
(1) कृषि विस्तार पर उप-मिशन
(2) बीज और पौध सामग्री पर उप-मिशन
(3) कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन
(4) पौध संरक्षण और पौध संगरोध पर उप-मिशन
कृषि प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण निवेशों को शामिल करने, उनके इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने और उन्नत तरीके विभिन्न् जिलों की 17 योजनाओं के द्वारा प्रचारित किये जा रहे हैं. यह जिम्मेदारी कृषि एवं सहकारिता विभाग 11वीं योजना अवधि में संभाल रहा है. संशोधित विस्तार सुधार योजना की शुरूआत 2010 में की गई थी. इसका उद्देश्य विस्तार तंत्र को मजबूत बनाना और इन योजनाओं के तहत ऊर्जा पैदा करना है. इन योजनाओं को कृषि प्रौद्योगिकी संस्था (एटीएमए) आगे बढ़ा रही है.
इस राष्ट्रीय मिशन को इन योजनाओं के मिले-जुले रूप के जरिए उद्देश्य का अगला चरण माना जा रहा है. मिशन का दस्तावेज तैयार कर लिया गया है और इसमें योजना आयोग के कार्य ग्रुप की सिफारिशों का ध्यान रखा गया है. इन सिफारिशों और सुझावों पर सभी हितधारकों और खासतौर से किसानों के द्वारा अमल किया जाना है.
उक्ति सभी चार उप-मिशनों में विस्तार और प्रौद्योगिकी की अंतरधारा सब में शामिल है, जबकि चारों उप-मिशन प्रशासनिक सुविधा के अनुसार प्रस्तावित किये गये हैं. ये सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और अधिकांश घटकों को मजबूत विस्तार तंत्र के जरिए सभी हितधारकों में प्रचारित किया जाना है.
मिशन का उद्देश्य
इस मिशन का उद्देश्य कृषि विस्तार को मजबूत बनाना और उसे पुनर्गठित करना है, ताकि किसानों तक उन्नत किस्म की सही प्रौद्योगिकी पहुंचाई जा सके. तंत्र और सूचना विस्तार के तरीकों का इस्तेमाल करके इसको किसानों तक पहुंचाने का कार्यक्रम है. अन्य जो तरीके इसके प्रचार में अपनाए जाएंगे उनमें सही और आधुनिक प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाना, मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए संस्थानों को मजबूत बनाकर उनकी क्षमता वृद्धि, पौध संरक्षण आदि शामिल हैं.
विस्तार व्यवस्था़ की तंत्र संबंधी चुनौतियों का सामना करने के लिए इस मिशन में संतुलित दृष्टिकोण अपनाए जाने की जरूरत है. ऐसा करके ही व्यक्तिगत तौर पर नये तरीकों के जरिए किसानों में प्रचार किया जा सकेगा.
बीज क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रमाणित बीज का उत्पादन बढ़ाने, फार्मों में बीजों की बचत करके उनकी गुणवत्ता में सुधार, 'बीज ग्राम कार्यक्रम' के अंतर्गत कम से कम 10 प्रतिशत गांवों को लाने और हर वर्ष किसानों के लिए बीज की व्य वस्था' करने वाली प्रणाली में कम से कम एक सौ लाख क्विंटल बीजों का उत्पादन शामिल है. इस उद्देश्य से सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में क्षमता वृद्धि करने, बीजों की गुणवत्ताप नियंत्रण में सुधार लाने पर भी ध्या्न दिया जाएगा.
पृष्ठभूमि
मशीनीकृत खेती का सीधा संबंध कृषि उत्पादन से है. चालू दशक के दौरान खेती को मशीनीकृत बनाने के लिए बहुत बड़ी संख्या में किसानों को लागत प्रभावी और लाभप्रद मशीनीकृत खेती के अंतर्गत लाना होगा. ऐसा करके ही कृषि वृद्धि वांछित स्तर पर बनाए रखने में मदद मिलेगी और खेती की उत्पादकता बढ़ सकेगी.
खेती में पौध संरक्षण भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके लिए कीटनाशकों और पौध संगरोध भी महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिनसे संबंधित व्यवस्था 12वीं योजना अवधि के दौरान मजबूत बनानी है. खाद्य सुरक्षा और भारत के खाद्य तथा कृषि व्यापार के हित में देश के विभिन्नि भागों में कृषि जिंसों में कीटनाशकों के बचे अंश का विश्लेषण करने की जरूरत है.
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