केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति हेतु ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ विधेयक 11 अगस्त 2014 को लोकसभा में पेश किया. सरकार की ओर से केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया. इस विधेयक का उद्देश्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त कर इसका स्थान लेना है.
‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ विधेयक में संविधान संशोधन के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश करने के लिए एक आयोग गठित करने का प्रावधान है. इस विधेयक में सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की चयन प्रक्रिया का प्रावधान करने के साथ ही साथ इन न्यायालयों में न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू करने की समय-सीमा का भी प्रावधान किया गया है. इस विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि आयोग ऐसी सिफारिश नहीं करेगा जिस पर आयोग के किन्हीं दो सदस्यों में सहमति न हो. इसके साथ ही राष्ट्रपति जरूरत पडऩे पर आयोग को उसकी सिफारिश पर पुनर्विचार करने के लिए भी कह सकते हैं. लेकिन यदि आयोग पुनर्विचार के बाद सर्वसम्मति से फिर सिफारिश करता है तो राष्ट्रपति को उसके अनुरूप नियुक्ति करनी बाध्यकारी होगी. इसके अतिरिक्त विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि आयोग उच्च न्यायालय तथा सर्चोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में नियुक्ति के मानदंड, न्यायाधीशों के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया तथा शर्तें तय कर सकता है.
प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ से सम्बंधित मुख्य तथ्य
• आयोग में कुल छह सदस्य होंगे.
• भारत के मुख्य न्यायाधीश ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ के अध्यक्ष होंगे.
• सर्वोच्च न्यायालय के दो वरिष्ठ न्यायाधीश इसके सदस्य होंगे.
• भारत के केंद्रीय कानून मंत्री इसके पदेन सदस्य होंगे.
• दो प्रबुद्ध नागरिक इसके सदस्य होंगे, जिनका चयन प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में नेता विपक्ष वाली तीन सदस्यीय समिति करेगी. अगर लोकसभा में नेता विपक्ष नहीं होगा तो सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता चयन समिति में होगा.
• दो प्रबुद्ध व्यक्तियों में से एक सदस्य एससी-एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक या महिला वर्ग से होगा.
• आयोग सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश पद हेतु उस व्यक्ति की नियुक्ति की सिफारिश नहीं करेगा, जिसके नाम पर आयोग के दो सदस्यों ने सहमति नही जताई होगी.
• आयोग के किसी भी कार्य या सिफारिश पर इस आधार पर सवाल नहीं उठाया जा सकता कि आयोग का कोई पद खाली था.
कोलेजियम व्यवस्था से संबंधित मुख्य तथ्य
वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति एवं स्थानांतरण का निर्धारण एक कोलेजियम व्यवस्था (एक फोरम) के तहत होती है. इसमें सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सहित चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं. यह प्रक्रिया वर्ष 1998 से लागू है. इसके तहत कोलेजियम सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति की अनुसंशा करता है. यह सिफारिश विचार और स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजी जाती है. जिसपर राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद संबंधित नियुक्ति की जाती है. इसी प्रकार उच्च न्यायालय के लिए संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कोलेजियम से सलाह मशविरे के बाद प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजते हैं. फिर देश के मुख्य न्यायाधीश के पास यह प्रस्ताव आता है. बाद में इसे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास विचार और स्वीकृति के लिए भेजा जाता है. जिसपर राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद सम्बंधित नियुक्ति की जाती है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation