जनवरी 2015 के दूसरे सप्ताह में केंद्र सरकार ने पवित्र शहर वाराणसी की कायाकल्प के लिए क्योटो– वाराणसी भागीदारी समझौते के तहत पांच क्षेत्रों की पहचान की है. इस समझौते पर भारत और जापान ने अगस्त 2014 में हस्ताक्षर किया था.
जापान वाराणसी को क्योटो– वाराणसी भागीदारी समझौते के तहत अपनी विशेषज्ञता का विस्तार करेगा.
पहचान किए गए क्षेत्रों में शामिल है
- ठोस– तरल अपशिष्ट प्रबंधन
- परिवहन प्रबंधन
- वाराणसी और उसके आस– पास बौद्ध पर्यटन का विकास
- उद्योग– विश्वविद्यालय इंटरफेस
- सार्वजनिक– निजी भागीदारी आधार पर कन्वेंशन सेंटर की स्थापना ताकि शहर में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके.
इससे पहले 2014 को केंद्र सरकार ने विरासत नगर विकास एवं संवर्धन योजना (हृदय) के तहत वाराणसी के लिए 80 करोड़ रुपयों की राशि मंजूर की थी.
पृष्ठभूमि
वाराणसी– क्योटो भागीदारी समझौता सिस्टर सिटी कोऑपरेशन का हिस्सा है जिस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अगस्त 2014 में पांच दिनों की जापान यात्रा के दौरान भारत और जापान द्वारा हस्ताक्षर किया गया था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी लोकसभा सीट से संसद सदस्य हैं. वाराणसी और क्योटो दुनिया के सबसे पुराने बसे हुए शहरों में से एक हैं.
वाराणसी को भारत की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है और यह दुनिया का सबसे पुराना जीवित शहर है जबकि क्योटो प्राचीन मंदिरों और धार्मिक स्थलों का स्थान है और इसे जापान का सांस्कृतिक केंद्र कहा जाता है. यह 794 ईस्वी के अंत तक जापान की राजधानी था जिसके बाद वहां के सम्राट टोक्यो चले गए थे.
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