पर्यावरण मंत्रालय ने गिर सिंहों के लिए प्रसिद्ध गुजरात के गिरनार वन अभयारण्य में रोपवे निर्माण की परियोजना की मंजूरी छह शर्तों के साथ 7 फरवरी 2011 को प्रदान की. शर्तें निम्नलिखित हैं
1. गुजरात सरकार रोपवे परियोजना के लिए एक सदृश विकल्प के लिए एक अध्ययन कराएगी. बेहतर होगा कि यह दफ्तर/भेसान की ओर यह ध्यान में रखकर हो कि गिद्धों और अन्य वन्य जीव प्राणियों के रहने का स्थल सुरक्षित रहे और उन्हें कम से कम व्यवधान हो. यह रिपोर्ट दो महीने के भीतर दाखिल करनी होगी.
2. इस इलाके में नीड़ स्थलों को कम से कम असुविधा हो इसके लिए रोपवे की 9वें और 10वें टावर की लम्बाई बढ़ाई जाएगी.
3. गिद्दों की गतिविधियों की निगरानी के लिए 9वें तल पर उच्च क्षमता वाला कैमरा लगाना. रोपवे के कैबिनों की गतिविधि इस प्रकार निर्धारित की जाएगी, जिससे गिद्धों के टकराने की दुर्घटनाओं से बचा जा सके.
4. एक उपयुक्त स्थल पर गिद्धों के लिए भोजन स्थल बनाया जाए तथा इस स्थल का चयन विशेषज्ञों की सलाह पर किया जाएगा. गिद्धों की गतिविधियों को रोपवे से अलग रखने के अतिरिक्त यहां उन्हें प्रयाप्त भोज्य पदार्थ मिलेगा.
5. प्रत्येक टिकट पर 5 रुपए या कुल बिक्री से प्राप्त कर का दो प्रतिशत, जो भी अधिक हो, का उपकर लगाया जाएगा. यह राशि गिरनार वन्य प्राणी अभयारण्य और इर्द-गिर्द के स्थलों के संरक्षण से संबंधित क्रियाकलापों के लिए गिरनार लायन कन्जरवेशन सोसायटी को दी जाएगी.
6. गुजरात वन विभाग के अधिकारियों का समूह, संबंधित स्थानीय स्वयंसेवी संगठन, बीएनएचएस, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और विशेषज्ञों का एक तकनीकी निगरानी दल गठित किया जाएगा, जो सुरक्षा नियमों और रोपवे परियोजना के लिए रास्ता साफ करने संबंधी शर्तों को लागू करने की निगरानी करेगा.
विदित हो कि जूनागढ़ जिले के गिरनार क्षेत्र में भावनाथ तलेटी और अंबाजी मंदिर को आपस में जोड़ने के लिए रोपवे बनाने की यह परियोजना वर्ष 1995 से लंबित थी. पर्यावरणविदों का मानना है कि रोपवे के निर्माण से खतरे में पड़ी प्रजाति गिरनारी गिद्ध की अभयारण्य क्षेत्र में मौजूदगी पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. रोपवे लगाने से अभयारण्य क्षेत्र में वन्यजीवों तथा मानव के बीच टकराव की संभावनाएं कम की जा सकेंगी और इसके निर्माण से हजारों श्रद्धालुओं को भी आवाजाही में सहूलियत होगी.
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