प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ब्रिक्स देशों-ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका में बुनियादी सुविधाओं और विकास परियोजनाओं को धन मुहैया करने के लिए बिक्र्स न्यू विकास बैंक (एनडीबी) और ब्रिक्स आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था (BRICS Contingent Reserve Arrangement, CRA, सीआरए) की स्थापना को 25 फरवरी 2015 को मंजूरी प्रदान की. एक तरह से यह बैंक विश्व बैंक की तरह काम करेगा.
ब्रिक्स बैंक के गठन के लिए सदस्य देशों के बीच हुए समझौते और नए विकास बैंक के गठन के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने से यह अब हकीकत के और करीब आ गया.
यह बैंक सदस्य देशों की ढांचागत और अन्य विकास परियोजनाओं में अहम भूमिका निभाएगा तथा ढांचागत परियोजनाओं के लिए विशेष तौर पर इससे वित्तीय सहयोग मिलेगा.
बिक्र्स न्यू विकास बैंक से लाभ
बिक्र्स न्यू विकास बैंक इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को वित्तीय मदद मुहैया कराने के लिए चीन, रूस, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और भारत का साझा प्रयास है.
भारत अपनी कुल बचत का एक बड़ा हिस्सा ढांचागत सुविधाओं में निवेश करता है. ब्रिक्स बैंक जब इसके लिए कर्ज देने लगेगा तो भारत अपने फंड का दूसरे विकास कार्यों में इस्तेमाल कर सकेगा.
भुगतान संकट की स्थिति में भारत इस बैंक से मदद ले सकेगा. अभी इसके लिए भारत को ऋण एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से लेना पड़ता है.
विदित हो कि ब्राजील में हुए ब्रिक्स समिति में इसके सदस्य देशों ने विकास बैंक बनाने का फैसला किया था. इसका मुख्यालय शंघाई में होगा, जबकि इसका पहला प्रमुख भारत से बनेगा. बिक्र्स में भारत के अलावा रूस, चीन, ब्राजील और साउथ अफ्रीका हैं.
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