केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश राज्य के रायबरेली जिले में राजीव गांधी राष्ट्रीय उड़ान विश्वविद्यालय के नाम से एक केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना करने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी 11 जुलाई 2013 को दी.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राजीव गांधी राष्ट्रीय उड़ान विश्वविद्यालय विधेयक 2013 को संसद में पेश करने के प्रस्ताव को भी अपनी मंजूरी दी, जिससे नागर विमानन, कार्मिक और प्रशिक्षण तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ मंत्रिमंडल सचिव के नेतृत्व में एक चयन समिति के माध्यम से चयन करके कुलपति (केंद्रीय विश्वविद्यालयों की प्रणाली पर आधारित वेतनमानों के साथ) का एक पद सृजित किया जा सके. इसके अलावा परियोजना निदेशक के पद हेतु भारत सरकार के संयुक्त सचिव के दर्जे में एक अस्थायी पद का भी सृजन किया जा सके, जिसे प्रतिनियुक्ति द्वारा भरा जाना है.
इस विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य
एक सुरक्षित और प्रभावकारी उड़ान उद्योग के सृजन के लिए कुशल और सक्षम कामगार अनिवार्य हैं. भारत में उड़ान शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने वाली बड़ी संख्या में निजी संस्थाओं की मौजूदगी के बावजूद भी हितधारकों के बीच यह सामान्य धारणा है कि इस उद्योग की जरूरतों को पूरा करने हेतु जो पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं अथवा अवसंरचना सुविधाएं उपलब्ध हैं, वे पर्याप्त नहीं हैं. इसलिए नागर विमानन क्षेत्र की बढ़ती शैक्षिक और प्रशिक्षण संबंधी जरूरतों को पूरा करने हेतु राष्ट्रीय उड़ान विश्वविद्यालय की स्थापना करना जरूरी हो गया.
राजीव गांधी राष्ट्रीय उड़ान विश्वविद्यालय
• राजीव गांधी राष्ट्रीय उड़ान विश्वविद्यालय की स्थापना एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और एक स्वायत्त निकाय के रूप में की जानी है, जो नागर विमानन मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में होना है.
• नागर विमानन मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित समिति– इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी (आईजीआरयूए) के पास उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में उपलब्ध जमीन पर विश्वविद्यालय के निर्माण के पहले चरण (2013-14 से 2018-19) में केंद्र सरकार की ओर से 202 करोड़ रूपए दिए जाने निर्धारित हैं.
• इसके पहले चरण में आईजीआरयूए के पास उपलब्ध लगभग 26.35 एकड भूमि का चयन राष्ट्रीय उड़ान विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु किया गया है.
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