केरल के वायनाड जिले में मानवरूपी आकृतियों के चित्र जनवरी 2014 के तीसरे सप्ताह में पाए गए. यह चित्र थोवारी पहाड़ियों के इडक्कल गुफाओं के पास प्रागैतिहासिक काल के पहाड़ी नक्काशियों (पेट्रोगिल्फ्स) के बीच प्राप्त हुए.
यह खोज पहाड़ी कला की खोज के जिज्ञासु एक टीम ने पेट्रोगिल्फ्स पर दस्तावेजीकरण करते समय की.
इस खोज में मिले चित्र सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान मुहरों पर इस्तेमाल किए जाने वाले चित्रों के जैसे हैं. यह मान्यता है कि ज्यामितीय और अमूर्त चित्रों वाली पहाड़ी नक्काशियां थोवारी की पड़ाडियों में मिलती है.
इससे पहले मार्च 2013 में थोवारी की पड़ाहियों के नवपाषाण काल के चट्टानों पर ब्राह्मी भाषा के अक्षरों से मिलते जुलते चित्र पाए गए थे. इसकी खोज इडक्कल के पुरात्तव विभाग ने की थी.
पेट्रोगिल्फ्स
पेट्रोगिल्फ्स को पहाड़ों में किए जाने वाली नक्काशी के रूप में जाना जाता है जिसे चट्टानों की उपरी परत को चीर कर, चित्रकारी कर, नक्काशी और घिस कर बनाया जाता है. यह खोज दुनिया में प्रागैतिहासिक काल के कला क्षेत्र में पाए जाने वाली मानवाकृतियों के चित्रों में से एक है.
मानवरूपी आकृतियों के चित्र
इन चित्रों में आम तौर पर धार्मिक चित्रों के साथ मूर्तियों को दर्शाया जाता है. यह विशेष प्रवृत्ति आम तौर पर धार्मिक व्यवहार का प्रतीक है जो आरंभिक धार्मिक इतिहास में पाई जाती थी.
वायनाड से सम्बंधित मुख्य तथ्य
वायनाड जिले की गठन केरल के 12वें जिले के रूप में 1 नवंबर 1980 को किया गया. इसे कोझीकोड और कन्नूर जिलों से अलग कर बनाया गया था. इस क्षेत्र में कई आदिवासी जातियां निवास करती हैं. यह पश्चिमी घाट में समुद्र तल से 700 मीटर से 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह प्राचीन खंडहरों, रहस्यमयी पहाड़ी गुफाओं और आदिवासी जनजातियों का घर है.
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