यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो कैंसर सेंटर के अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम ने प्रोटीन राल जो कि अग्नाशय, प्रोस्टेट, फेफड़े, पेट और मूत्राशय के कैंसर के विकास में सहायक होता है, को रोकने के लिए BQU57 नामक नया यौगिक विकसित किया.
इस नए यौगिक के विकास का वर्णन करने वाला अध्ययन सितंबर 2014 के दूसरे सप्ताह में नेचर नाम के जरनल में प्रकाशित हुआ था. अध्ययन के प्रमुख लेखक यूरोलॉजी और फार्मोकोलॉजी के प्रोफेसर, डान थीयोडोरेस्कस (एमडी, पीएचडी) थे.
अध्ययन
सबसे पहले, अनुसंधानर्ताओं ने इस बात का पता लगाया कि किस प्रकार के बदलाव की वजह से निष्क्रिय राल प्रोटीन क्रियाशील हो जाता है. उन्होंने पाया कि निष्क्रिय राल प्रोटीन में एक गुहा होती है जो कि इसके क्रियाशील होने पर खत्म हो जाती है. टीम एक ऐसा अणु चाहती थी जो कि इस गुहा को खोले रखने के लिए छड़ी के रूप में काम करे.
दूसरा, टीम ने इस गुहा में फिट हो सकने वाले 500000 संभावित यौगिकों में से 88 अणुओं को चुना. इसके बाद, उन्होंने मानव कैंसर कोशिकाओं पर परीक्षण किया ताकि इस प्रोटीन को ब्लॉक करने वाला अणु मिल सके.
अध्ययन का निष्कर्ष
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कुछ अणु फेफड़े के कैंसर में राल सक्रियता को कम करते हैं. RBC8 नाम का एक यौगिक मोटास्टासिस रूप में प्रोटीन को निष्क्रिय करने में सबसे सफल था.
टीम ने अपने शोध को परिष्कृत किया औऱ RBC8 के यौगिक (डेरिवेटिव्स) का उत्पादन किया. उसमें से एक यौगिक BQU57 राल की गतिविधि को रोकने में मुख्य यौगिक से अधिक प्रभावी था.
अध्ययन का महत्व
राल पर निर्दिष्ट चिकित्सीय एजेंटों के विशेष श्रेणी के विकास की दिशा में यह अध्ययन पहला महत्वपूर्ण कदम है. सक्रिय होने पर समाप्त हो जाने वाले प्रोटीन साइटों और सक्रिय होने के लिए जिनका समाप्त हो जाना जरूरी है, को लक्षित करने की अवधारणा सिद्धांततः प्रोटीन से होने वाले अन्य मानव बीमारियों के लिए दवा की खोज में मदद करेगी.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation