कैग की नियुक्ति से को चुनौती देने वाली याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दी. 23 मई को दायर एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पहले इस मामले को हाईकोर्ट में लेकर जाने के आदेश दिये.
विदित हो कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India, CAG) पद पर शशिकांत शर्मा की नियुक्ति को चुनौती देते हुए कहा गया था कि उनकी नियुक्ति अपारदर्शी और मनमाने तरीके से की गई.
पूर्व रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा की कैग पद पर नियुक्ति के खिलाफ पूर्व चुनाव आयुक्त एन गोपालस्वामी, दो पूर्व नौसेना प्रमुखों एडमिरल (सेवानिवृत्त) आरएच ताहिलीयानी व एडमिरल (सेवानिवृत्त) एल रामदास, पूर्व कैग सदस्य बीपी माथुर और पांच अन्य सेवानिवृत्त नौकरशाहों की ओर से भी एक याचिका दायर की गई है.
इस याचिका में केंद्र सरकार को पारदर्शी चयन प्रक्रिया अपनाने और गैर राजनैतिक चयन समिति गठित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी. इसमें कहा गया है कि शर्मा ने रक्षा मंत्रालय में सचिव रहते हुए कई बड़ी रक्षा खरीद को हरी झंडी दी थी, जिनमें कुछ के खिलाफ जांच की जा रही है. इसमें अगस्ता वेस्टलैंड और टाट्रा ट्रक सौदा प्रमुख है. अब कैग के रूप में वह इनका ऑडिट करेंगे जो कि पूरी तरह गलत है.
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