केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने खरीफ सत्र के खाद्यान्न उत्पादन के प्रथम अग्रिम अनुमान रिपोर्ट 24 सितंबर 2012 को जारी किया. रिपोर्ट के अनुसार देश में 2012-13 के दौरानं 24 करोड़ 95 लाख 20 हजार टन अनाज उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त हो जाने की उम्मीद है. वर्ष 2011-12 के खरीफ सत्र में खाद्यान्न उत्पादन 12 करोड़ 99.4 लाख टन हुआ था. चावल का उत्पादन खरीफ सत्र में घटकर आठ करोड़ 55.9 लाख टन रह जाने का अनुमान है जो वर्ष 2011-12 के खरीफ सत्र के गर्मी की फसल में नौ करोड़ 15.3 लाख टन था. उन्होंने कहा कि पहले अग्रिम अनुमान में फसल वर्ष 2012-13 के खरीफ सत्र में खाद्यान्न उत्पादन 11 करोड़ 71.8 लाख टन होने की उम्मीद है जो पिछले वर्ष के मुकाबले कम है लेकिन यह पिछले पांच वर्षो के 11.3 करोड़ टन के औसत से बेहतर है. खरीफ सत्र में जो भी कमी देखी गई है उसकी भरपाई रबी सत्र में कर ली जाएगी. इस वर्ष खरीफ सत्र में दलहनों का उत्पादन 52.6 लाख टन होने का अनुमान है.
गन्ने का उत्पादन भी बढ़कर 3 करोड़ 35 लाख टन होने की उम्मीद है.
मॉनसून में देरी और अन्य कार्यों में ढील के कारण जून से जुलाई 2012 के बीच खरीफ की बुआई पर असर पड़ा और कुछ इलाकों में बुआई हो ही नहीं सकी. इस कारण देश में खरीफ उत्पादन और खासकर मोटे अनाज के उत्पादन पर असर पड़ेगा. सितंबर में भी व्यापक वर्षा हुई है जिससे वर्षा पर आधारित इलाकों में जमीन फिर खेती के लिए तैयार हो गई है. समय पर बुआई करके और समुचित गहराई में बीज डालकर मिट्टी में आई नमी का फायदा उठाना बहुत जरूरी है.
केंद्र सरकार देश में रबी की बुआई पर ध्यान दे रहा है ताकि खरीफ उत्पादन की कमी को पूरा किया जा सके. चावल, रागी, मक्का, गेहू, चना और दालों की स्वीकृत और संकर किस्मों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए इनके बेहतर बीजों के वितरण का अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है.
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