गर्भाशय–प्रत्यारोपण के बाद विश्व के पहले बच्चे का जन्म हुआ. इस बच्चे को स्वीडन एक 36 वर्षीय महिला ने जन्म दिया. महिला की पहचान सार्वजनिक नहीं की गयी.
स्वस्थ्य बच्चे (लड़का) का जन्म अगस्त 2014 में स्वीडन के यूनिवर्सिटी ञफ गोथेनबर्ग के अस्पताल में हुआ था. बच्चे का वजन 1.775 किलोग्राम था. प्री– एक्लैम्पसिया के कारण 31 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद बच्चे का जन्म सिजेरियन तरीके से हुआ.
यह कैसे हुआ?
महिला का गर्भाशय–प्रत्यारोपण हुआ था क्योंकि वह रोकिटान्स्की सिंड्रोम नाम के आनुवांशिक हालत से पीडित थी जिसमें महिला का जन्म बिना गर्भाशय के हुआ था हालांकि उसके अंडाशय बरकरार थे.
गर्भाशय का प्रत्यारोपण एक 61 वर्षीय महिला से किया गया था जो कि पीड़ित महिला की मित्र थी. अंग का प्रत्यारोपण 2013 में 10 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद किया जा सका था.
प्राप्तकर्ता को फिर इन–विट्रो फर्टिलाइजेशन कराना पड़ा. इसमें उनके अंडाशय से अंडे को निकाला गया और उसके साथी के शुक्राणु के साथ उसे निषेचित किया गया औऱ फिर उसे बेहद कम तापमान पर संरक्षित किया गया.
प्रत्यारोपण के एक वर्ष के बाद, प्रत्यारोपित गर्भाशय में एक प्रारंभिक अवस्था वाले भ्रूण को गर्भाशय में डाला गया था. तीन सप्ताह के बाद किया गया गर्भावस्था परीक्षण सकारात्मक था.
इस विकास का महत्व
बिना गर्भाशय वाली महिलाओं के लिए यह एक वरदान है. गर्भाशय का न होना बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक रहा है. महिलाओं में गर्भाशय का न होना या तो अनुवांशिक या फिर चिकित्सकीय कारणों से उसे हटाने की वजह से होता है. इस विकास ने महिला बांझपन के अंतिम मुख्य बाधा को खत्म कर दिया है.
निरपेक्ष गर्भाशय कारक बांझपन एक मात्र महिला बांझपन का प्रकार था जिसका इलाज करना असंभव माना जा रहा था.
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