गुजरात दंगों से जुड़े मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता मुकुल सिन्हा का 12 मई 2014 को अहमदाबाद में निधन हो गया. वे 63 वर्ष के थे तथा फेफड़े के कैंसर से पीड़ित थे.
मुकुल सिन्हा से संबंधित मुख्य तथ्य
मुकुल सिन्हा ने इशरत जहां, तुलसीराम प्रजापति, सोहराबुद्दीन और सादिक जमाल मुठभेड़ मामले में जाँच को लेकर पीड़ित पक्ष की ओर से वकालत की थी. सिन्हा ने वर्ष 2002 के गोधरा दंगों के जांच से संबंधित ‘नानावती आयोग’ के सामने महत्वपूर्ण गवाहों के साथ अधिवक्ता के रूप में तर्क-वितर्क किया था.
मुकुल सिन्हा ने वर्ष 2002 में ‘जनसंघर्ष मंच’ और ‘गुजरात ट्रेड यूनियन फेडरेशन’ के नेतृत्व में गुजरात में 'न्यू सोशलिस्ट मूवमेंट' के नाम से एक राजनीतिक पार्टी की स्थापना की. इस पार्टी को वर्ष 2007 में भारतीय चुनाव आयोग की ओर से पंजीकृत कर लिया गया.
मुकुल सिन्हा ने वर्ष 1980 में ‘ट्रेड यूनियन आंदोलन’ का भी नेतृत्व किया था, जिसमें उन्हें अनुसंधान, विकास, प्रशिक्षण और शैक्षणिक संस्थानों के कर्मचारियों को संगठित करने में कामयाबी मिली.
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