चित्रकार प्रकाश करमाकर का उम्र संबंधी बीमारी के कारण 24 फरवरी 2014 को निधन हो गया. वह 81 वर्ष के थे. उनकी चित्रकारी ने आधुनिक भारत में व्याप्त सामाजिक विघटन और भ्रांति को प्रतिबिंबित किया.
प्रकाश करमाकर पिकासो और 19वीं सदी के प्रभाववादी आंदोलन के प्रभाववादियों के कार्यों से प्रभावित थे. 'प्रभाववादी' शब्द 1874 में फ्रांसीसी कला-समीक्षक लुई लेरॉय ने मॉनेट की पेंटिंग पर सूर्योदय के पेंटिंग-प्रभाव के आधार पर गढ़ा था. यह शब्द मॉनेट और कई अन्य चित्रकारों द्वारा प्रयुक्त स्वच्छंद, अपरिभाषित और असमाप्त शैली का वर्णन करने के लिए सृजित किया गया था.
प्रकाश करमाकर से सम्बंधित मुख्य तथ्य
• उनकी पेंटिंग्स लखनऊ और दिल्ली स्थित ललित कला अकादमी, नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट और कोलकाता स्थित अकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स जैसी प्रसिद्ध गैलरियों का अंग हैं.
• 1956 में उन्होंने गली-प्रदर्शनियाँ आयोजित करनी शुरू कीं, जिसने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई और उनकी पहली प्रदर्शनी 1959 में इंडियन म्यूजियम, कोलकाता की रेलिंग्स पर लगी थी.
• वह 1933 में कोलकाता (तब कलकत्ता) में पैदा हुए थे.
प्रकाश करमाकर द्वारा जीते गए पुरस्कार
• प्रकाश करमाकर को वर्ष 1968 में ललित कला अकादमी राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया.
• वर्ष 1970 में उन्हें रवींद्र भारती विश्वविद्यालय पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
• प्रकाश करमाकर को वर्ष 1976 में बिरला कला और संस्कृति अकादमी, कलकत्ता का पुरस्कार प्रदान किया गया.
• प्रकाश करमाकर को वर्ष 1996 में एआईएफएसीएस पुरस्कार दिया गया.
• पश्चिम बंगाल सरकार ने वर्ष 2000 में उन्हें अवनींद्र पुरस्कार से सम्मानित किया.
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