चीन ने अपनी विनिर्माण ताकत को बनाए रखने के लिए 25 सितंबर 2014 को ‘मेड इन चाइना’ अभियान की शुरुआत की. यह अभियान ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की तर्ज पर शुरु किया गया. इस अभियान को शुरु करने का फैसला चीन के प्रधानमंत्री ली कीकियांग की अध्यक्षता वाली चीनी मंत्रिमंडल ने किया.
चीन को उन्नत प्रौद्योगिकी और उपकरणों से लैस करने, उच्च मूल्यों वाले अधिक प्रतिस्पर्धी उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए चीनी मंत्रिमंडल ने सरकारी तंत्र को जल्द–से–जल्द नए उपायों को लागू करने को कहा. इसके तहत चीन कर रियायतों के जरिए इस अभियान को शुरु कर अपने विनिर्माण क्षमताओँ को बनाए रखना चाहता है.
'मेड इन चाइना' अभियान से संबंधित मुख्य तथ्य
‘मेड इन चाइना’ प्रक्रिया को उन्नत बनाने के लिए चीन इस अभियान के तहत उच्च–तकनीक वाले आयातों, अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करेगा.
1 जनवरी 2015 के बाद नई आरएंडडी उपकरणों और सुविधाओं को खरीदने वाली कंपनियों या जिनके पास कम अचल संपत्ति हैं, को मूल्य के आधार पर कर में छूट दी जाएगी.
आयातित उच्च–तकनीकी उपकरण पर भी कर में छूट मिलेगी. अन्य क्षेत्रों के साथ विमानन और जैव दवा उत्पादन के क्षेत्र में आयातित उपकरणों वाले उद्योगों को कर में छूट प्रदान की जाएगी.
‘मेड इन चाइना’ अभियान का उद्देश्य कंपनियों खासकर सूक्ष्म और मध्यम–आकार के उद्यमों (एसएमई) के नवाचार में तकनीकी सुधार लाना है. ये एसएमई ने पिछले तीन दशकों में चीन को विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाया है और उसे विनिर्माण उद्योग का पावरहाउस बना दिया है.
टिप्पणी
चीन का विनिर्माण क्षेत्र वहां के आर्थिक विकास का प्रमुख तत्व है और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी. ‘मेड इन चाइना’ अभियान की शुरुआत के साथ नवाचार के नए दौर को प्रेरणा मिलना माना जा रहा है जो आर्थिक विकास को स्थिर करने में योगदान करेगा. इसके अलावा, यह अभियान वास्तविक रूप से उद्योगों के बोझ को हल्का करेगा और पुराने उपकरणों को उन्नत बनाने में योगदान देगा.
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