जम्मू-कश्मीर में 9 जनवरी 2015 को राज्यपाल शासन लागू हुआ. दिसंबर 2014 में जम्मू-कश्मीर विधान सभा हेतु संपन्न चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत न मिलने एवं इनके बीच आपसी गठजोड़ न हो पाने के कारण राज्य में राज्यपाल शासन लागू किया गया.
पृष्ठभूमि
दिसंबर 2014 में जम्मू-कश्मीर विधान सभा हेतु संपन्न विधान सभा चुनाव परिणामों में पीडीपी को 28, भाजपा को 25, नेकां को 15, कांग्रेस को 12, पीपुल्स कांफ्रेंस को दो, माकपा और पीडीएफ के अलावा एआइपी को एक-एक सीट मिली, दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते. सरकार बनाने के लिए 44 सदस्य अनिवार्य हैं, लेकिन कोई दल आपस में गठजोड़ कर इस आंकड़े पर नहीं पहुंचा.
6 जनवरी 2015 को जम्मू-कश्मीर के कार्यवाहक मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल एनएन वोहरा से भेंट कर खुद को कार्यमुक्त किए जाने का आग्रह किया. उमर से भेंट के बाद राज्यपाल एनएन वोहरा ने विभिन्न दलों के साथ बैठकों से संबंधित एक रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी. अपनी रिपोर्ट में उन्होंने राज्य में राज्यपाल शासन लागू करने, उसकी अवधि व अन्य विकल्पों का भी ब्योरा दिया. इस रिपोर्ट में बताया गया कि जम्मू-कश्मीर के 12वीं विधानसभा के गठन के लिए हुए चुनावों में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला और न गठबंधन सरकार को लेकर संबंधित दलों में कोई समझौता हुआ. इसके बाद केंद्र सरकार की सहमति और राष्ट्रपति से मिली मंजूरी के बाद राज्यपाल एनएन वोहरा ने जम्मू-कश्मीर में संविधान के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए राज्यपाल शासन लागू किया.
विदित हो कि जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान होने के कारण यहां राष्ट्रपति शासन के स्थान पर राज्यपाल शासन लागू होता है. पिछले सात वर्षों में यह दूसरा मौका है जब जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू किया गया. 11 जुलाई 2008 को तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद राज्यपाल शासन लागू हुआ था. उस समय भी राज्यपाल के पद पर एनएन वोहरा ही थे.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation