जर्मनी ने 15 मार्च 2011 को अपने 7 सबसे पुराने परमाणु संयंत्रों को बंद करने का निर्णय लिया. जापान में आए भीषण भूकंप और सुनामी के कारण फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में दुर्घटना के उपरांत सुरक्षा कारणों के तहत परमाणु संयंत्रों को बंद करने का निर्णय लेने वाला जर्मनी पहला यूरोपीय राष्ट्र है. इन परमाणु संयंत्रों को जुलाई 2011 तक बंद रखा जाना है. जर्मनी की कुल विद्युत ऊर्जा खपत का 26 फीसदी परमाणु संयंत्रों से ही पैदा होता है.
ज्ञातव्य हो कि जर्मनी ने 14 मार्च 2011 को अपने सभी 17 परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा प्रणाली की समीक्षा करने की घोषणा की थी. जर्मनी का यह निर्णय यूरोपियन संघ के निर्णय से संबंधित है, जिसमें यूरोपियन संघ ने अपने कुल 27 सदस्य देशों में स्थित 143 परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा प्रणाली की समीक्षा करने की घोषणा की थी.
यूरोपियन संघ ने परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा प्रणाली की समीक्षा के लिए भूकंप, सुनामी, बाढ़ और आतंकवादी घटना को भी सम्मिलित किया है. यूरोपियन संघ ने अपने दिशा-निर्देश में स्पष्ट किया कि परमाणु संयंत्रों को विद्युत ऊर्जा की कमी होने की स्थिति में कुछ अन्य सुरक्षित साधन का इंतजाम (backup power to cool the reactors) रखें ताकि रिएक्टर को ठंढा रखा जा सके. सुनामी के कारण फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में बैक-अप पावर की कमी के ही कारण रिएक्टर का तापमान बढ़ गया, जिससे विस्फोट हुआ.
यूरोपियन संघ के 17 परमाणु संयंत्रों की तकनीक फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के समान है, यानी ब्यालिंग वाटर रिएक्टर (boiling water reactors). इन 17 में से 9 फिनलैंड और स्वीडन के समुद्र तटीय क्षेत्र में स्थित हैं. जबकि यूरोपियन संघ के 40 फीसदी परमाणु संयंत्र समुद्र तटीय क्षेत्र में हैं. भूकंप या सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदा और उससे होने वाले खतरे को देखते हुए तथा समय रहते उसके बचाव हेतु उपायों के लिए यूरोपियन संघ द्वारा यह निर्णय लिया गया.
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