भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार विदेशी नागरिकों के लिए भी उपलब्ध है, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति न्यायाधीश एके पटनायक और रंजन गोगोई की पीठ ने यह निर्णय 19 जून 2013 को दिया.
सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय महाराष्ट्र सरकार द्वारा युगांडा के राष्ट्रपति के एक सलाहकार सहित युगांडा के तीन नागरिकों के खिलाफ पंजीकृत एफआईआर को खारिज करते हुए दिया. महाराष्ट्र सरकार ने यह एफआईआर वीडियोकॉन द्वारा की गई शिकायत के आधार पर पंजीकृत करवाई थी. सर्वोच्च न्यायालय ने इसके साथ ही मुंबई पुलिस को तीनों के पासपोर्ट जारी करने का निर्देश भी दिया.
भारत के संविधान का अनुच्छेद 21
भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में यह उपबंध है कि- किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा अन्यथा नहीं.
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