ट्रांस्पैरेंसी इंटरनेशनल (टीआईआई) द्वारा जारी भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (सीपीआई) में 176 देशों में भारत 94वें स्थान पर है. अत्यधिक भ्रष्ट राष्ट्रों की सूची में भारत को शून्य से 100 (अत्यंत पाक-साफ) के पैमाने पर 36 अंक प्राप्त हुए हैं. इस सूची में डेनमार्क 90 अंक के साथ शीर्ष स्थान पर है जबकि उसके बाद फिनलैंड और न्यूजीलैंड का स्थान है. यह जानकारी 5 दिसंबर 2012 को प्राप्त हुई.
वर्ष 2011 में भारत 183 देशों की सूची में 95वें स्थान पर था. भारत को वर्ष 2011 में भी 36 अंक प्राप्त हुए थे. वर्ष 2007 में पहली बार भारत को 180 देशों में 72वें स्थान पर रखा गया था और उसके बाद से देश के स्थान में गिरावट दर्ज की जा रही है. वर्ष 2010 में भारत का स्थान जहां 87वां था.
सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों में भ्रष्टाचार के मामले में अफगानिस्तान, ईरान, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश का प्रदर्शन भारत से ज्यादा खराब है. वर्ष 2012 की रैंकिंग में सोमालिया, उत्तर कोरिया और अफगानिस्तान 8 अंकों के साथ सर्वाधिक भ्रष्ट देश माने गए हैं. डेनमार्क, फिनलैंड और न्यूजीलैंड 90 अंकों के साथ सबसे कम भ्रष्ट देशों की सूची में शामिल हैं. वर्ष 2012 में 39 अंक प्राप्त कर चीन भ्रष्टाचार के मामले में भारत से थोड़ी बेहतर स्थिति में है, जबकि 27 अंक के साथ पाकिस्तान नीचे की रैंकिंग में है.
सीपीआई-2012 हेतु किए गए इस सर्वेक्षण में सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के स्तरों के आधार पर देशों को रैंकिंग दी गई. इसमें शासन व व्यापारिक वातावरण में विशेषज्ञता रखने वाले 10 स्वतंत्र आकड़ा स्रोतों का इस्तेमाल किया गया.
भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक
भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (सीपीआई) ट्रांस्पैरेंसी इंटरनेशनल (टीआईआई) द्वारा वर्ष 1995 से जारी किया जा रहा है. यह एक समग्र सूचक है जो कि दुनिया भर के विभिन्न देशों में सार्वजनिक क्षेत्र में हो रहे भ्रष्टाचार को दर्शाता है.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल एक गैर लाभ, गैर सरकारी संगठन है जो भ्रष्टाचार से लड़ने हेतु समर्पित है. यह अपने भ्रष्टाचार धारणाएं सूचकांक हेतु सबसे अधिक जाना जाता है. इसका सचिवालय बर्लिन और जर्मनी में स्थित है. यह संगठन 100 से अधिक देशों में मौजूद है. यह संगठन वर्ष 1993 में अस्तित्व में आया था.
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