सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति डी.पी. बुच ने 11 दिसंबर 2013 को गुजरात राज्य के लोकायुक्त का कार्यभार संभाला. डी.पी. बुच को लोकायुक्त के पद एवं गोपनीयता की शपथ राजभवन, गांधी नगर, गुजरात में आयोजित एक समारोह में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में राज्यपाल कमला बेनीवाल ने दिलाई.
न्यायमूर्ति डी पी बुच गुजरात के चौथे लोकायुक्त हैं. लोकायुक्त का पद तीसरे लोकायुक्त न्यायमूर्ति आर एम सोनी के कार्यकाल दिसंबर 2003 की समाप्ति के बाद से रिक्त था. गुजरात के पूर्ववती तीनो लोकायुक्तो का कार्यकाल डी.एच शुक्ल (1988), जे. सी भट्ट(1993-1998), आर एम सोनी (1998-2003).
लोकायुक्त के कार्य
लोकायुक्त भारतीय राज्यों में एक भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई हेतु एक लोकपाल संगठन है. लोकायुक्त की संस्था को राज्य में सार्वजनिक अधिकारी के खिलाफ और उससे संबंधित आरोपों की जांच के लिए गठित किया गया है.
लोकायुक्त के कार्यों में शामिल है - शीर्ष सार्वजनिक पदाधिकारियों की वास्तिवक छवि पेश करना एवं कार्यप्रणाली दक्षता में सुधार के साथ-साथ निष्पक्षता और ईमानदारी को बढ़ावा देना.
भारत में लोकायुक्त के पद का सृजन कैसे हुआ?
मोरारजी देसाई की अध्यक्षता में प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) ने 1966 में नागरिक शिकायतों के निवारण की समस्याओं पर एक विशेष अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. प्रशासनिक सुधार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लोक प्रशासन के मानकों में सुधार करने के लिए राज्य के स्तर पर लोकायुक्त की नियुक्ति के प्रयोजन के लिए एक ऐसे लोकायुक्त संस्था की स्थापना की सिफारिश की थी, जो भ्रष्टाचार के मामलों सहित प्रशासनिक मशीनरी में पक्षपात और सरकारी अनुशासनहीनता को रोके. महाराष्ट्र राज्य में सर्वप्रथम वर्ष 1971 में लोकायुक्त पद का गठन हुआ था.
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