दिल्ली उच्च न्यायालय ने 23 जुलाई 2014 को दिल्ली सरकार को ई–रिक्शों को नियमित न कर पाने के लिए फटकार लगाई और उसे 31 जुलाई 2014 तक इन ई–रिक्शों को विनियमित करने के लिए अपना रूख स्पष्ट करने को कहा. कोर्ट ने कहा कि ई–रिक्शों को बिना लाइसेंस, पंजीकरण या बीमा के बिना अनियंत्रित रूप से चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
जस्टिस बदर दुर्रेज अहमद और जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मुख्य सचिव एस के श्रीवास्तव द्वारा दायर हलफनामे पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को फटकार लगाई.
अपने हलफनामें में मुख्य सचिव ने ई–रिक्शों को नियमित करने की मांग के साथ कहा था कि ई–रिक्शों का परिचालन पूर्णतः अनाधिकृत और अवैध है. ऐसा इसलिए क्योंकि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत ई– रिक्शे मोटर वाहन हैं और दिल्ली की सड़कों पर इनका परिचालन जनता की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती है. इसके अलावा, ई–रिक्शों के लिए कोई नीति या नियम नहीं बनाया जा सकता क्योंकि ये पहले से ही इस अधिनियम के तहत आते हैं.
हलफनामे में आगे कहा गया है कि राज्य के परिवहन विभाग ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा 18 जून 2014 को दीनदयाल ई–रिक्शा योजना की घोषणा के बाद से ई–रिक्शों के खिलाफ कार्रवाई करना बंद कर दिया है और इन वाहनों को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के दायरे से बाहर लाने के लिए कानून में बदलाव करने का वादा किया है.
मुख्य सचिव ने अपना हलफनामा 21 मई 2014 को उच्च न्यायालय के उस आदेश के बाद दायर किया था जिसमें उच्च न्यायालय ने दिल्ली में ई–रिक्शों के परिचालन की अनुमति की परिस्थिति के बाबत सवाल पूछा था. 21 मई 2014 को दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सामाजिक कार्यकर्ता शाहनवाज खान ने भी एक याचिका दायर की थी.
अपनी याचिका में खान ने इस आधार पर ई–रिक्शों के नियमन की मांग की थी कि 12 वोल्ट वाली चार बैट्रियों और 650 से 850 वाट की बिजली उत्पादन क्षमता के साथ ये रिक्शे सिर्फ चार लोगों को ले जा सकते हैं. लेकिन ये करीब आठ लोगों को एक बार में बैठाते हैं जिससे लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाता है.
पृष्ठभूमि
ई–रिक्शों का मामला पिछले कुछ महीनों से सुर्खियों में बना हुआ है. मुख्य मुद्दा यह है कि ये वाहन मोटर वाहन हैं या नहीं और इन्हें मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत नियमित किया जाना चाहिए या नहीं.
24 अप्रैल 2014 को, ई–रिक्शों को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना से अवैध घोषित कर दिया गया था. हालांकि 18 जून 2014 को केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ई–रिक्शा चालकों की विशाल रैली को संबोधित करते हुए ई– रिक्शों को नियमित करने और दीनदयाल ई–रिक्शा योजना के शुभारंभ की घोषणा की थी.
उन्होंने 650 वाट तक की मोटर शक्ति वाले ई–रिक्शों को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 तहत गैर मोटर चालित वाहन मानने पर विचार करने की बात कही और इसलिए उसके परिचालन को न रोकने की घोषणा भी की थी.
इसके अलावा, उन्होंने परिवहन विभाग और यातायात पुलिस द्वारा ई–रिक्शों पर चालान नहीं काटने को भी कहा था. इन्हें दिल्ली नगर निगम द्वारा 100 रुपये के शुल्क के साथ पंजीकृत कर नियमित किया जाना है. इससे ई–रिक्शा चालकों को अपनी आजीविका कमाने का मौका मिलेगा.
दीनदयाल ई–रिक्शा योजना
दीनदयाल ई–रिक्शा योजना का शुभारंभ 18 जून 2014 को केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने नई दिल्ली में किया था. इस योजना का उद्देश्य ई–रिक्शा चालकों पर दिल्ली पुलिस द्वारा जुर्माना नहीं लगाए जाने के साथ दिल्ली में इनके परिचालन को वैध बनाना है.
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