वर्ष 2006 में प्रशासनिक सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले रवि प्रकाश गुप्ता (सौ फीसदी दृष्टि बाधित) की नियुक्ति आईएएस के तौर पर करने का आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को दिया. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अल्तमश कबीर और न्यायमूर्ति सी. जोसेफ़ की खंडपीठ ने 7 जुलाई 2010 को दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले (25 फरवरी 2009) को सही ठहराते हुए आदेश दिया कि निशक्तता कानून 1995 [Persons with Disabilities (Equal Opportunities, Protection, Rights and Full Participation) Act, 1995] की धारा 33 के तहत केंद्र निशक्त लोगों के लिए पदों की पहचान करे. निशक्तता कानून 1995 को वर्ष 1996 से लागू किया गया था. भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में निशक्तता कानून 1995 को वर्ष 2006 से लागु किया गया.
रवि प्रकाश गुप्ता ने अपने मामले की खुद पैरवी की. वर्ष 2006 में वह दृष्टि बाधित उम्मीदवारों की सफलता श्रेणी में 5वें स्थान पर थे. निशक्तता कानून 1995 की धारा 33 के अनुसार विभिन्न विकलांग श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए 3 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. आरक्षण संख्या विभिन्न विकलांग श्रेणियों के लिए प्रत्येक वर्ष अंतः-परिवर्तनीय होता है.
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