प्रो. तरुण खन्ना की अध्यक्षता में नीति आयोग के पैनल ने 27 अक्टूबर 2015 को नवाचार पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी. रिपोर्ट में निजी क्षेत्र को विश्वविद्यालयों और नईं कपनियों में अनुसंधान समेत अनुसंधान एवं विकास के लिए धन मुहैया कराने में मदद करने की अनुशंसा की गई है.
समिति की सिफारिशें
इसने विश्वविद्यालयों और स्टार्टअप्स में निवेश के लिए कंपनियों के लाभ के प्रतिशत के बराबर बेहतर लाभ की सिफारिश की है.
इसमें विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के सभी अनुबंधों में अनुबंध मूल्य का पांच फीसदी मूल्य उसके प्रमुख उत्पाद क्षेत्रों पर जोर के साथ अनुसंधान– केंद्रित विश्वविद्यालय स्थापित करने हेतु देने की शर्त होनी चाहिए.
इसमें मेक इन यूनिवर्सिटीज प्रोग्राम का सुझाव दिया गया है जिसमें 500 टिंकेरिंग प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाएगी. इनमें इच्छुक उद्यमी स्थानीय समस्याओं को दूर करने के लिए उत्पाद तैयार करने हेतु प्रयोग कर सकेंगें. साथ ही प्रत्येक संस्थान में एक 3 डी प्रिंटर भी दिया जाएगा.
इन प्रयोगशालाओं के लिए 1000 करोड़ रुपयों, जिसे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आत्म रोजगार और प्रतिभा उपयोग योजना (सेतु) के लिए अलग रखा है, के आधे कोष का उपयोग करने की अनुशंसा की है.
भारत में सबसे निम्न स्तरीय समस्याओं के समाधानों को खोजने हेतु बड़ा पुरस्कार देने की भी अनुशंसा की गई है. इसका पालन कुछ विकासशील देशों में किया जाता है.
इसने 150 करोड़ रुपयों के एआईएम बजट का उपयोग सालाना दिए जाने वाले 12 बड़े पुरस्कारों में पूरी तरह से करने की अनुशंसा की है. प्रत्येक चुनौती को 10 से 30 करोड़ रुपए तक का पुरस्कार दिया जाना चाहिए.
प्रति वर्ष 200 करोड़ रुपयों के सार्वजनिक खर्च के साथ व्यापार इन्क्यूबेटरों में निवेश में वृद्धि और इसके लिए निजी क्षेत्र में जाने की भी अनुशंसा पैनल ने की है.
पैनल की एक अन्य महत्वपूर्ण अनुशंसा थी– केंद्र सरकार द्वारा 5000 करोड़ रुपयों के कोष के साथ फंड–ऑफ– फंड्स (एफओएफ) की स्थापना जो अन्य प्रारंभिक चरण के उद्यमों के लिए हो.
टिप्पणी
प्रवृत्तियां समिति की अनुशंसाओं में हठधर्मिता को दर्शातीं हैं खासकर अमेरिका जहां गूगल की सफलता और एप्पल इंक की कहानी सरकारी निवेश से समर्थित थी.
गूगल की जड़ों का पता अमेरिकी नेशनल साइंस फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित अनुसंधान परियोजनाओं से लगाया जा सकता है औऱ एप्पल की सफलता का श्रेय अमेरिका सरकार की छोटे – व्यापार प्रशासन कार्यक्रम को दिया जा सकता है जो नई कंपनियों को निवेश सहायता मुहैया कराते हैं.
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