4 फरवरी 2016 को नासा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार 14 जुलाई 2015 को नासा के न्यू होराइजंस मिशन ने प्लूटो पर नाइट्रोजन बर्फ के ग्लेशियर देखे जो अपने साथ कई अलग– थलग पहाड़ियां ले जा रहे थे. ये पानी बर्फ के टुकड़ों के जैसे दिख रहे थे.
चूंकि नाइट्रोजन– बहुल बर्फ पानी बर्फ के मुकाबले सघन होता है, इसलिए यह माना जा रहा है कि नयी मिली बर्फ की पहाड़ियां जमी हुई नाइट्रोजन के समुद्र में तैर रही हैं और पृथ्वी के आर्कटिक सागर के हिमखंडों जैसा दिख रही है. ये पहाड़ियां अकेले एक से कई मीलों या किलोमीटर में फैली हैं.
ये पहाड़ियां प्लूटो के आकर्षक और प्रचूर मात्रा में भूगर्भीय गतिविधि का एक और उदाहरण हैं. इनके बीहड़ उपरी भूभाग के टुकड़े और स्पूतनिक प्लैनम के पश्चिमी बॉर्डर पर बड़ी एवं पेचीदा पहाड़ियों के छोटे संस्करण होने की संभावना है.
बहती पहाड़ियों की जंजीरें ग्लेशियरों के प्रवाह पथ साथ– साथ बनाते जाते हैं. जब ये पहाड़ियां मध्य स्पूतनिक प्लैनम के सेलुलर इलाके में प्रवेश करती हैं तब वे नाइट्रोजन बर्फ की संवहनी गति के अधीन हो जाती हैं और कोशिकाओं के किनारों पर धकेल दी जाती हैं जहां पहाड़ियां 12 मील तक समूहों में इक्ट्ठा हो जाती है.
चित्र के उत्तरी छोर पर विशेषता को अनौपचारिक रूप से चैलेंजर कोल्स नाम दिया गया है. खो चुके अंतरिक्ष यान चैलेंजर के चालक दल का सम्मान करते दिखते हैं और इन पहाड़ियों का बड़ा समूह देखने को मिलता है, यह 37 गुना 22 मील या 60 गुना 35 किलोमीटर का दिखता है.
यह विशेषता सेलुलर क्षेत्र से दूर उपरी भूभाग की सीमा के नजदीक स्थित है और एक ऐसे स्थान का प्रतिनिधित्व करता है जहां नाइट्रोजन बर्फ के खास तौर पर उथले होने की वजह से पहाड़ियां किनारे पर पहुंची हुई दिखती हैं.
यह चित्र न्यू होराइजंस के मल्टीस्पेक्ट्रल विजिबल इमेजिंग कैमरा (एमवीआईसी) उपकरण से लिया गया था और इसका माप 500 किमी से थोड़ा लंबा और करीब 340 किमी चौड़ा है.
यह प्लूटो से करीब 16000 किलोमीटर की दूरी की रेंज और 14 जुलाई 2015 को प्लूटो पर न्यू होराइजंस के निकटमत बिन्दु पर पहुंचने से करीब 12 मिनट पहले लिया गया था.
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