नासा वैज्ञानिकों ने 10 जून 2015 को सौर तूफानों की भविष्यवाणी करने के लिए एक उपकरण विकसित किया है. यह उपकरण 24 घंटे पहले सौर तूफानों की भविष्यवाणी करने में वैज्ञानिकों की सहायता करेगा.
तूफानों से आमतौर पर दूरसंचार तथा बिजली की कटौती जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है. सौर जियोमेग्नेटिक तूफ़ान सौर कणों के उस विशाल बादल, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) भी कहा जाता है, का परिणाम होते हैं जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की विपरीत दिशा में एकत्र होते हैं.
मॉडल कैसे कार्य करता है
यह मॉडल अभी प्रयोगाधीन है लेकिन यदि यह प्रयोग सफल रहा तो वैज्ञानिकों के लिए भविष्यवाणी करना आसान हो जायेगा.
इसका अर्थ यह हुआ कि 24 घंटे पहले भविष्यवाणी करके मूल्यवान वस्तुओं की तूफ़ान के विनाश से रक्षा की जा सकती है.
यदि सीएमई पृथ्वी की दिशा में अर्थात् दक्षिण से उत्तर की ओर हो तो सीएमई अधिक प्रभाव के बिना ही खिसक सकता है.
अभी वैज्ञानिकों के पास इस बात का विशेष सबूत नहीं है कि किसी सीएमई का चुंबकीय क्षेत्र किस प्रकार व्यवस्थित होता है. सीएमई पृथ्वी के नजदीक से गुजरते उपग्रहों के क्षेत्र की गणना कर सकता है. सवानी ने सूर्य के प्रारंभिक विस्फोटों के चुंबकीय क्षेत्र का निरीक्षण करने के लिए नासा की सोलर डायनेमिक्स वेधशाला का प्रयोग किया.
इससे पहले सीएमई के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के आंकड़ों के आधार पर भविष्यवाणी की जाती थी जो अधिक सफल नहीं रही. सीएमई के सूर्य से दूर होने की स्थिति में चुंबकीय क्षेत्र को मापने के लिए कोई भी उपकरण मौजूद नहीं है लेकिन वैज्ञानिकों ने कुछ तरीकों का पता लगाया है जिससे वे अन्तरिक्ष में घूमते, विस्तार होते तथा घुमड़ते बादलों का आकलन कर सकते हैं.
निष्कर्ष स्वरुप यह कहा जा सकता है कि यह मॉडल इस बात का वर्णन कर सकता है कि सीएमई किस प्रकार पृथ्वी की ओर आ रहा है एवं सीएमई की किस दिशा एवं किस भाग में चुंबकीय क्षेत्र मौजूद है.
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