देश के चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालने करते हुए सभी प्रमुख राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के साथ चुनावी घोषणा पत्र संबंधी विचार-विमर्श करने का निर्णय लिया. निर्वाचन आयोग ने 08 जुलाई 2013 को इस संबंध में एक कथन जारी करते हुए अगले कुछ दिनों में बैठक के आयोजन की घोषणा की.
विदित हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने 5 जुलाई 2013 को तमिलनाडु सरकार के चुनावी घोषणा पत्र में लोक-लुभावन वादों के विरुद्ध दायर एक याचिका को खारिज करने के दौरान निर्वाचन आयोग को देश के राष्ट्रीय व क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्रों की विषयवस्तु के नियमन के निर्देश दिये थे.
चुनाव आयोग ने जारी कथन पत्र में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करने हेतु सभी राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के साथ संयुक्त रूप से एक बैठक में चर्चा की जाएगी. चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की प्रति सभी दलों को प्रेषित कर दी.
सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों के घोषणा-पत्रों में मुफ्त वस्तुएं बांटने की घोषणाओं को निष्पक्ष चुनाव कराने की प्रक्रिया का उल्लंघन है.
घोषणा पत्र
घोषणा पत्र जारीकर्ता के अपने सिद्धांतों एवं इरादों को मौखिक रूप में व्यक्त करने का एक माध्यम है. जारीकर्ता कोई भी हो सकता है, व्यक्ति, समूह, राजनीतिक दल या सरकार. किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दल चुनाव के कुछ दिन पहले अपने-अपने घोषणा पत्र जारी करते हैं. वे अपने घोषणा पत्र में उल्लेख करते हैं कि जीत जाने की स्थिति में वे नियम-कानूनों एवं नीतियों में क्या-क्या परिवर्तन करेंगे. अमूमन घोषणा-पत्र किसी राजनीतिक दल की रणनीतिक दिशा को भी तय व उजागर करता है.
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