नेपाल संविधान सभा ने नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के प्रस्ताव को 14 सितंबर 2015 को बहुमत मतदान से ठुकरा दिया. यह घोषित किया गया कि हिंदू बहुल नेपाल धर्मनिरपेक्ष बना रहेगा.
हिंदू राष्ट्र समर्थक समूह राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी नेपाल (आरपीपी-एन) की ओर से यह प्रस्ताव पेश किया गया था जिसमें संविधान में संशोधन द्वारा नेपाल को हिंदू राष्ट्र का दर्जा दिए जाने बात की गई थी. आरपीपी-एन के अध्यक्ष कमल थापा ने अनुच्छेद चार में संशोधन का प्रस्ताव दिया था.
601 सदस्यीय संविधान सभा में दो तिहाई से अधिक सदस्यों ने बहुमत द्वारा इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. प्रस्ताव के पक्ष में केवल 21 मत डाले गये जबकि मत विभाजन के लिए 61 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है.
पृष्ठभूमि
नेपाल एक हिन्दू बहुल राष्ट्र है जिसे वर्ष वर्ष 2006 में राजशाही के अंत के बाद वर्ष 2007 में धर्मनिरपेक्ष घोषित किया गया. इसे 15 जनवरी 2007 को अंतरिम संविधान के तहत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य के रूप में परिभाषित किया गया था. इसके तहत किसी भी व्यक्ति को कोई भी धर्म अपनाने की स्वतंत्रता प्रदान की गयी है.
वर्ष 1990 के संविधान में, जो 15 जनवरी 2007 तक प्रभावी था, में नेपाल को हिन्दू राष्ट्र कहा गया है जबकि इसमें हिन्दू को बतौर अधिकारिक धर्म नहीं बताया गया.
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