पंजाब सरकार ने 5 दिसंबर 2014 को जिला सिविल सर्जन से पूर्व अनुमति लिए बगैर स्वास्थ्य शिवरों को लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया. यह फैसला राज्य के गुरदासपुर जिले में एक शिविर में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद एक दर्जन से अधिक लोगों के आंशिक रूप से दृष्टि खोने के बाद किया गया. यह निःशुल्क नेत्र जांच शिविर मथुरा, उत्तरप्रदेश के स्वयंसेवी संगठन द्वारा आयोजित किया गया.
सरकार ने यह भी अनिवार्य कर दिया कि स्वास्थ्य शिविर लगाने की अनुमति देने से पहले सिविल सर्जन को इस बात की पुष्टि कर लेनी चाहिए कि संगठन के पास पर्याप्त चिकित्सा संरचना और शल्य चिकित्सा करने के लिए विशेषज्ञ हैं. सिविल सर्जनों को यह भी कहा गया है कि ऐसे शिवरों में सर्जरी के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले उपकरण स्टर्लाइज हों, को भी वे सुनिश्चित करें और मरीजों के लिए प्री–ऑपरेटिव एवं पोस्ट–ऑपरेटिव मामलों की सुनवाई करें. जालंधर के नेत्र सर्जन जिसने स्वास्थ्य शिविर में ऑपरेशन किए थे और मथुरा के स्वयंसेवी संगठन के समन्वयक जिसने शिविर का आयोजन किया था, दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया.
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