पच्चीस वर्षों के बाद तमिलनाडु में वन विभाग की वन्य जीव शाखा की ओर से राज्य में 23 मई 2014 को ऑलिव रिडले संरक्षण कार्यक्रम एक बार फिर से शुरु किया गया. विभाग ने बसंत नगर में एक हेचरी भी बनाई है.
इसके अलावा, विभाग ने हैचरी के बगल में ऑलिव रिडले कछुए के संरक्षण के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए कंक्रीट का एक टॉम्ब भी बनाया है. विभाग के मुताबिक, इस मौसम में चेन्नई और मराक्कनम तट के बीच 700से ज्यादा ऑलिव रिडले कछुओं की मौत हो चुकी है.
अंडे–देने के मौसम (जनवरी से मार्च) में समूह ने 9784 अंडों के साथ 85 कछुओं की पहचान की है. उन सभी को इक्ट्ठा कर हैचरी में जमा कर दिया गया है. इनमें से सिर्फ 8834 अंडे हैच (अंडे से बच्चे निकालने की प्रक्रिया) किए गए हैं.
प्रत्येक घोंसले में औसतन 150 अंडे थे और उनमें से बच्चों को बाहर निकालने में 45 दिन का समय लगता है.
विश्व कछुआ दिवस की पूर्व संध्या पर वन विभाग के कर्मचारियों ने अंडे में से बच्चों के निकलने की दर और नीलंगराई और मरीना बीच में छोड़े गए युवा कछुओं की मृत्यु दर की समीक्षा की.
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