पाकिस्तान सरकार ने 29 अगस्त 2014 को पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ को देश के राजनीतिक संकट को शांत करने हेतु मध्यस्थ नियुक्त किया.
राहील शरीफ की मदद लेने का फैसला पाकिस्तान तहरीक–ए–इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख इमरान खान और पाकिस्तान आवामी तहरीक (पीएटी) पार्टी के प्रमुख ताहीर–उल–कादरी द्वारा प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के इस्तीफे की मांग के बाद की स्थिति को देखते हुए किया गया.
पाकिस्तान में राजनीतिक संकट, 'पाकिस्तान निर्वाचन आयोग' (ईसीपी) के भूतपूर्व अतिरिक्त सचिव अफजल खान के उस दावे के बाद शुरु हुआ, जिसमें खान ने कहा था कि जिस आम चुनाव में नवाज शरीफ भारी बहुमत से जीते उसमें धांधली की गई थी. इसके बाद राजधानी इस्लामाबाद में कई सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए हैं. इसको लेकर पाकिस्तान में पिछले दो सप्ताह से राजनीतिक संकट चल रहा है.
विदित हो कि पहले पाकिस्तानी सेना ने इस राजनीतिक संकट से अलग रहना ही बेहतर समझा. लेकिन अब सेना प्रमुख की सीधी भागीदारी के बाद अब डर यह है कि सेना लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित असैन्य सरकार पर अपना जोर आजमाइश करेगी. कई राजनीतिज्ञों और विश्लेषकों ने सेना से मदद लेने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं.
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