प्रसार भारती के संस्थागत ढांचे की समीक्षा के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने 25 जनवरी 2014 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. समिति की अध्यक्षता जन सूचना, आधारभूत ढांचे और नवाचार मामलों में प्रधानमंत्री के सलाहकार श्री सैम पित्रोदा द्वारा की गयी थी. समिति का गठन 29 जनवरी 2013 को किया गया था.
समिति ने प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों के साथ प्रसार भारती को प्रभावी स्वतंत्रता देने के लिए 1990 के अधिनियम में संशोधन करने की सिफारिश की है.
समिति ने निम्नलिखित सिफारिशें की हैं-
• वित्तीय जवाबदेही के साथ स्वायत्तता की आवश्यकता का पता लगाने के लिए प्रसार भारती के लिए एक निधी तंत्र विकसित करना होगा.
• सरकार की मंजूरी की आवश्यकता के बिना संगठन को नियमों और अपने कर्मचारियों के लिए विनियमों के निर्माण करने की शक्ति होनी चाहिए .
• संगठन के मार्गदर्शन में प्रभावी और एक पेशेवर प्रबंधन ढांचा बनाने के लिए प्रसार भारती बोर्ड का पुनर्गठन किया जाना चाहिए.
• प्रशासनिक और सरकार से आर्थिक रूप से स्वायत्त संगठन बनाने के लिए प्रसार भारती को संपत्ति और मानव संसाधन के स्वामित्व और प्रबंधन का पूरा हस्तांतरण मिलना चाहिए.
• गौरतलब है कि इसने अपने टीवी और रेडियो नेटवर्क पर सभी सामग्री के प्रसारण के संबंध में संगठन के सार्वजनिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक नियामक संस्था का गठन करने की सिफारिश की थी. जिसमें कहा गया था कि यह प्रसार भारती बोर्ड की एक उप समिति होनी चाहिए .
• प्रसार भारती को एक विश्व स्तरीय प्रसारण सेवा बनाने के साथ दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनाने के न्यूनतम मानदंड बनाने चाहिए .
• समिति ने उच्च गुणवत्ता और विविध कार्यक्रम को आकर्षित करने के लिए बाहरी निर्माताओं से सामग्री के निर्माण की आउटसोर्सिंग को प्रोत्साहित किया है और विभिन्न टीवी और रेडियो चैनलों के लिए एक अलग ब्रांड पहचान के लिए प्रत्येक निर्माण सामग्री की रणनीति को परिभाषित किया है.
• समिति ने प्रसार भारती द्वारा सोशल मीडिया उपयोग करने पर भी जोर दिया है जिसे तुरंत लागू किया जा सकता है और संगठन के लिए एक सोशल मीडिया को रणनीति के रुप में परिभाषित किया जा सकता है
• यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक सेवा प्रसारक दूरदर्शन और आकाशवाणी को स्वतंत्र और तीसरे स्तम्भ के रूप में प्रसार भारती से जोडने को कहा गया है और संगठन को विभिन्न सोशल मीडिया पहल के प्रबंधन करने के लिए आज्ञा दी है.
• समिति ने सार्वजनिक सेवा प्रसारण के दायित्वों को पूरा करने के लिए उपग्रह और डिजिटल केबल टीवी परिचालन में विस्तार की मांग की है.
• मूल्यांकन के बाद एक नयी रेडियो प्रसारण प्रणाली, करने के लिए उपस्थित AM रेडियो प्रणाली के डिजिटलीकरण के लिए भी जोर दिया गया है.
• समिति ने आगे प्रभावी रुप से बुनियादी सुविधाओं का उपयोग करने की दृष्टि से प्रसारण बाजार का विस्तार करने के लिए निजी क्षेत्र की अधिक से अधिक भागीदारी का सुझाव दिया है जिसे प्रसार भारती द्वारा बनाया जा रहा है.
• प्रसार भारती के अभिलेखीय उत्पादों के प्रसार के लिए एक समर्पित, बहु मंच चैनलों का निर्माण होना चाहिए.
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