प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों की संपत्ति सार्वजनिक करने का निर्णय 14 नवंबर 2010 को लिया. ज्ञातव्य रहे कि प्रधानमंत्री द्वारा सभी मंत्रियों की संपत्ति का ब्यौरा वेबसाइट पर डाले जाने की मंजूरी के बारे में मंत्रिमंडलीय सचिव केएम चंद्रशेखर ने हाल ही में सभी केंद्रीय मंत्रियों को सूचित कर दिया था.
वर्तमान में आचार संहिता के अनुसार किसी भी व्यक्ति को मंत्री पद ग्रहण करते ही कामकाज संभालने के दो महीने के अंदर अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की संपत्ति और व्यावसायिक हितों के बारे में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री, जो भी संबंधित हो, को जानकारी अनिवार्य रूप से देनी होती है. ज्ञात हो कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संपत्ति पहले ही सार्वजनिक किए जाने का प्रावधान किया जा चुका है.
सूचना के अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम के खंड चार के अनुसार सभी दस्तावेजों का वर्गीकरण करना और उन्हें सार्वजनिक करना अनिवार्य है. आरटीआइ अधिनियम के अनुसार यह कानून आने के 120 दिनों के भीतर ही लागू कर दिए जाना था, परन्तु पांच साल बाद भी इन्हें पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका है. इस खंड का उद्देश्य शासन में पारदर्शिता लाना है.
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