पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री एवं योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष कृष्ण चंद्र पंत का नई दिल्ली में 15 नवंबर 2012 को निधन हो गया. वह 81 वर्ष के थे. कृष्ण चंद्र पंत नब्बे के दशक में कांग्रेस को छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे.
कृष्ण चंद्र पंत पिछले कुछ समय से बीमार थे. कृष्ण चंद्र पंत का अंतिम संस्कार बिना किसी राजकीय सम्मान के तत्काल कर दिया गया क्योंकि उनका परिवार इसे पूरी तरह निजी रखना चाहता था. सामान्य तौर पर किसी पूर्व केंद्रीय मंत्री के निधन पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है.
अपनी मध्यस्थता की भूमिका के लिए विख्यात कृष्ण चंद्र पंत ने वर्ष 1970 के दशक में अलग तेलंगाना हेतु हो रहे आंदोलन में वार्ताकार की भूमिका निभाई थी और स्थानीय लोगों को नौकरी में तवज्जो देने में और आंदोलन को समाप्त करने में अहम रहे, मुल्की नियम समझौते को कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में कृष्ण चंद्र पंत मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री थे, जिस समय बोफोर्स होवित्जर खरीद मामले में कैग की रिपोर्ट संसद में रखी गयी थी और उन्होंने संकट के उन दिनों में सरकार का बचाव किया था. हालांकि वर्ष 1998 में वह भाजपा के करीब आ गये. उनकी पत्नी ने भाजपा के टिकट पर नैनीताल लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता. कृष्ण चंद्र पंत वर्ष 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री काल में योजना आयोग के उपाध्यक्ष बने.
वर्ष 1931 में नैनीताल में जन्मे कृष्ण चंद्र पंत विज्ञान में स्नातकोत्तर थे और कांग्रेस में शामिल होकर राजनीति के क्षेत्र में उतरे. कृष्ण चंद्र पंत वर्ष 1952 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए और बाद में वर्ष 1967, वर्ष 1971 और वर्ष 1989 में भी सांसद चुने गए. दसवें वित्त आयोग के अध्यक्ष बनाये गये पंत को वर्ष 1978 में राज्यसभा में भी जाने का मौका मिला और वर्ष 1979 से वर्ष 1980 तक वह उच्च सदन के नेता रहे.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत के पुत्र कृष्ण चंद्र पंत के परिवार में उनकी पत्नी पूर्व सांसद इला पंत और दो बेटे हैं.
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