दक्षिण भारत और दक्षिण एशिया के गणमान्य जापानी इतिहासकार नोबोरू कराशिमा का 82 वर्ष की अवस्था में टोक्यो जापान में 26 नवंबर 2015 को निधन हो गया. उन्होंने अपने पीछे पत्नी तकको कराशिमा, तीन बेटे और तीन पोते छोड़े है.
वर्तमान में वह टोक्यो विश्वविद्यालय और तैशो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एमेरिटस थे. उन्होंने मध्ययुगीन दक्षिण भारत के आर्थिक और सामाजिक इतिहास पर फिर से अनुसंधान किया. उन्होंने भारत-जापान सांस्कृतिक संबंधों को विकसित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
नोबोरू कराशिमा बारे में-
• वह एक प्रसिद्ध तमिल विद्वान थे और इंटरनेशनल तमिल रिसर्च एसोसिएशन (आईएटीआर) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1989 से 2010 तक इसके अध्यक्ष रहे.
• 1995 में तंजावुर में आयोजित 8 वें तमिल विश्व सम्मेलन के वे प्रमुख आयोजक थे.
• वे 1996 से 2000 तक दक्षिण एशियाई अध्ययन के लिए जापान एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे.
भारत-जापान संबंधों को विकसित के लिए उन्हें वर्ष 2013 में पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया गया. 1995 में फुकुओका एशियाई संस्कृति पुरस्कार और जापान अकादमी पुरस्कार भी 2003 में उन्हें प्रदान किया गया.
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