कृषि मंत्री शरद पवार के नेतृत्व में मंत्रियों के एक समूह ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान प्रभावी कार्यान्वयन के लिए केन्द्र द्वारा प्रायोजित 147 योजनाओं के 70 योजनाओं में विलय को 23 मई 2013 को मंजूरी दी. मंत्री समूह ने प्रत्येक योजना में एक कोष व्यवस्था स्थापित करने को भी मंजूरी दी जिसके तहत राज्य सरकारें केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के लिए आवंटित बजट का 10 प्रतिशत उपयोग कर सकती हैं.
केन्द्र प्रायोजित योजना हेतु आवंटित धन के बेहतर इस्तेमाल के लिए मंत्री समूह ने केन्द्र सरकार से धन का हस्तांतरण योजना का क्रियान्वयन करने वाली एजेंसी के बजाय राज्य सरकार की संचित निधि में डालने को मंजूरी दी. मंत्री समूह ने प्रत्येक राज्य के अनुसार विशेष दिशानिर्देश तैयार किए जाने को भी मंजूरी प्रदान की.
मंत्री समूह की बैठक में वित्त मंत्री पी चिदंबरम, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया तथा अन्य उपस्थित थे.
विदित हो कि यह निर्णय चतुर्वेदी समिति की सिफारिशों के अनुरूप है. योजना आयोग के सदस्य बीके चतुर्वेदी के नेतृत्व में बनी समिति ने इन योजनाओं की संख्या 147 से कम कर 59 तक करने की सिफारिश सितंबर 2011 में की थी. समिति ने अपनी सिफारिशों में छोटी योजनाओं के विलय या इनमें से कुछ को पूरी तरह खत्म करने का सुझाव दिया गया था. जिन योजनाओं का सालाना आवंटन 100 करोड़ रुपए से कम है, उनका विलय हो सकता है या फिर उन्हें खत्म किया जा सकता है. इससे सरकार खजाने पर बोझ काफी हद तक कम हो जाना है. इसके तहत सीएसएस के मद में आवंटित रकम का 20 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकारें अपनी जरूरतों के हिसाब से इस्तेमाल कर सकती हैं.
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