प्रशांत महासागरीय द्वीपों के देशों के साथ रिश्ते मजबूत करने हेतु नए उपायों की घोषणा

Nov 21, 2014, 16:09 IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशांत महासागरीय द्वीपों के देशों के साथ रिश्ते मजबूत करने के लिए 19 नवंबर 2014 को नए उपायों की घोषणा की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशांत महासागरीय द्वीपों के देशों के साथ रिश्ते मजबूत करने के लिए नए उपायों की घोषणा की. उन्होंने इन उपायों की घोषणा फिजी की अपनी एक दिवसीय यात्रा के दौरान 19 नवंबर 2014 को फिजी के ‘सुवा’ में हुए प्रशांत महासागरीय द्वीपों के देशों के नेताओं के साथ हुई बैठक में की. वर्ष 1981 में इंदिरा गांधी की फिजी यात्रा के बाद नरेंद्र मोदी दूसरे भारतीय प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने इस देश की यात्रा की.

प्रशांत महासागरीय द्वीपों के देशों के साथ संबंधों को मजबूत बनाने के लिए घोषित उपाय इस प्रकार हैं–
 
1.    1 मिलियन अमेरिकी डॉलर का विशेष अनुकूलन कोष (एडप्टेशन फंड)
•    इस फंड का प्रयोग जलवायु परिवर्तन के लिए किया जाएगा, जो कि प्रशांत द्वीप देशों के लिए चिंता का प्रमुख विषय है.
•    इस फंड का इस्तेमाल भारत द्वारा प्रशांत द्वीप सहयोगियों को क्षमता निर्माण हेतु तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करने में भी किया जाएगा.
2.    संपूर्ण प्रशांत द्वीप परियोजना (पैन पेसेफिक आइलैंड्स प्रोजेक्ट)
•    उन्होंने पैन अफ्रीक प्रोजेक्ट की तर्ज पर टेलीमेडिसिन और टेली– शिक्षा के लिए पैन पेसेफिक आइलैंड्स प्रोजेक्ट की घोषणा की.
•    सामुदायिक स्तर पर प्रशांत द्वीपों के साथ भारत एक सौर ऊर्जा परियोजना पर भी काम कर रहा है.
•    प्रशांत द्वीपों पर क्षेत्रीय हबों का विकास किया जाएगा.
•    सभी चौदह प्रशांत द्वीप देशों के लिए आगमन पर भारतीय वीजा की सुविधा मिलेगी.
•    ये चौदह देश हैं– कुक आइलैंड्स, किंग्डम ऑफ टोंगा, टूवालू, रिपब्लिक ऑफ नाउरु, रिपब्लिक ऑफ किरीबाती, वानुवाटू, सोलोमन आइलैंड्स, सामोन, नियू, रिपब्लिक ऑफ पलाउ, फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ माइक्रोनेशिया, रिपब्लिक ऑफ मार्शल आईलैंज्स, फिजी और पापुआ न्यू गिनी.
•    इससे आदान– प्रदान की सुविधा बढ़ेगी और वीजा मुद्दों की वजह से होनी वाली यात्रा की असुविधा को कम कर भारत एवं प्रशांत द्वीप देशों के बीत बेहतर समझ को बढ़ावा मिलेगा.
3.    प्रशांत द्वीप देशों के लिए ग्रांड–इन–एड (सहायता अनुदान) में बढ़ोतरी
•    उन्होंने ग्रांड–इन–एड (सहायता अनुदान) को 2 लाख अमेरिकी डॉलर वार्षिक करने की घोषणा की जो कि हर वर्ष बढ़ाया जाएगा.
•    फिलहाल भारत प्रत्येक प्रशांत द्वीप देशों को संबंधित देश द्वारा चुने गए सामुदायिक परियोजनाओं के लिए 125 हजार अमेरिकी डॉलर का वार्षिक सहायता अनुदान प्रदान करता है.
4.    भारत में व्यापार कार्यालय की स्थापना
•    उन्होंने मौजूदा राजनयिक प्रतिनिधित्व पर नई दिल्ली में एक व्यापार कार्यालय के स्थापना की घोषणा की ताकि भारत और प्रशांत द्वीप देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा दिया जा सके.
•    भारत आईटीपीओ द्वारा आयोजिक प्रदर्शनियों में अपने उत्पादों को पेश करने के लिए प्रशांत द्वीप देशों को मानार्थ जगह मुहैया कराएगा.
•    भारत पारंपरिक चिकित्सा में संयुक्त अनुसंधान औऱ क्षेत्र के लोगों के लाभ के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास के विकल्पों को तलाशने के लिए उत्सुक है.
5.    आईटीईसी विशेषज्ञों की प्रतिनियुक्ति
•    उन्होंने कृषि, स्वास्थ्य सेवा और आईटी के क्षेत्र में प्रशांत द्वीप के देशों के साथ तकीनीकी विशेषज्ञों को अनुभव एवं विशेषज्ञता साझा करने हेतु प्रतिनियुक्ति करने का प्रस्ताव रखा है.
6.    प्रशांत द्वीप देशों के राजनियकों के लिए प्रशिक्षण
•    फॉरेन सर्विस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स ऑफ इंडिया (भारतीय विदेश सेवा प्रशिक्षण संस्थान) प्रशांत द्वीप के देशों के राजनयिकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करेगा. ये प्रशिक्षण दोनों ही देशों ( भारत और संबंधित देश) में आयोजित किया जाएगा.
7.    विशिष्ट आगंतुक कार्यक्रम
•    उन्होंने एक विशिष्ट आगंतुक कार्यक्रम शुरु करने का भी प्रस्ताव रखा. इस कार्यक्रम के तहत भारत सम्मेलनों का आयोजन करेगा और इस क्षेत्र दोस्तों को आमंत्रित करेगा. यह पारस्परिक लाभप्रद आर्थिक सहयोग को मजबूत बनाने के लिए नए विचारों का पता लगाने में मदद करेगा.
8.    अंतरिक्ष सहयोग
•    भारत ने लोगों के जीवन स्तर और संचार की गुणवत्ता में सुधार के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के उपयोग के क्षेत्र में सहयोग का प्रस्ताव रखा है. भारत आंकड़ों के साझा करने की संभावनाओं पर गौर करेगा जिसका प्रयोग जलवायु परिवर्तन, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन, संसाधन प्रबंधन की निगरानी के लिए किया जा सकता है.
9.    भारत– प्रशांत द्वीप सहयोग फोरम
•    उन्होंने भारत– प्रशांत द्वीप सहयोग के लिए एक फोरम (एफआईपीआईसी) को नियमित आधार पर आयोजित करने का प्रस्ताव रखा. अगली बैठक भारत के किसी तटीय स्थान पर 2015 में होगी.

 

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