मैनुअल वाल्स के नेतृत्व वाली फ्रांस की समाजवादी सरकार ने 19 फरवरी 2015 को बाजार सुधारों पर विश्वास मत जीत लिया.
विपक्षी कंजर्वेटिवों ने मैनुअल वाल्स द्वारा संसद से अनुमोदन लिए बगैर बाजार सुधारों को लागू करने के बाद सरकार के खिलाफ अविश्वास मत पेश किया था.
नेशनल असेंबली में सिर्फ 234 सासंदों ने ही अविश्वास मत के पक्ष में वोट डाला जो कि सरकार गिराने के लिए जरूरी संख्या से बहुत कम था.
संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में प्रस्ताव पारित करने के लिए 289 वोटों की जरूरत थी.
अविश्वास मत के पारित न होने का मतलब है कि आर्थिक सुधारों का पैकेज संसद में अपने पहले चरण में खुद ब खुद पारित हो गया और मैनुअल वाल्स सरकार के पास इसी डिग्री को आगे के चरणों में इस्तेमाल करने का अधिकार है.
फ्रांस में 57 वर्ष पुरानी पांचवे गणराज्य में सिर्फ एक बार अविश्वास मत को सफलता मिली है. साल 1962 में जार्ज पोमपिद्यू की सरकार को अपदस्थ करने के दौरान इसे सफलता मिली थी.
पृष्ठभूमि
इससे पहले 17 जनवरी 2015 को मैनुअल वाल्स ने बहुत कम प्रयुक्त संवैधानिक उपकऱण जिसे 49–3 डिक्री कहा जाता है को प्रमुख आर्थिक सुधारों के पैकज के जरिए लागू किया था. पैकेज में रविवार को खरीददारी घंटों में विस्तार और प्रतिस्पर्धा के लिए फ्रांस की अर्थव्यवस्था के मुख्य हिस्सों को खोलना शामिल था.
इसकी वजह से राष्ट्रपति फ्रैंकोइस हॉलैंड और वाल्स के बीच तनाव पैदा हो गया था.
फ्रांस, जो कि यूरोजोन की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, पिछले कुछ वर्षों से जबरदस्त बेरोजगारी और सुस्त विकास की समस्या से जूझ रहा है.
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