केंद्र सरकार ने बिहार के 21 जिलों को पिछड़े इलाके के रूप में अधिसूचित कर ‘कर-लाभ’ देने की 17 अगस्त 2015 को घोषणा की. केंद्र सरकार के अनुसार, यह घोषणा बिहार के तेज विकास के लिए किया गया. इसके लिए वित्त अधिनियम, 2015 के जरिए आयकर अधिनियम, 1961 को संशेाधित किया गया.
वित्त अधिनियम, 2015 के जरिए आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों में संशोधन मुख्य रूप से इस लिए किया गया ताकि बिहार सहित कुछ अन्य चिन्हित राज्यों के अधिसूचित पिछड़े इलाकों को कर लाभ प्राप्त हो सके और उनके विकास में गति आ सके. इस संशोधन के अनुरूप बिहार के 21 जिलों को पिछड़े इलाके के रूप में अधिसूचित किया गया है.
बिहार के पिछड़े इलाके के रूप में अधिसूचित 21 जिलों की सूची:
1. पटना
2. नालंदा
3. भोजपुर
4. रोहतास
5. कैमूर
6. गया
7. जहानाबाद
8. औरंगाबाद
9. नवादा
10. वैशाली
11. शिवहर
12. समस्तींपुर
13. दरभंगा
14. मधुबनी
15. पूर्णिया
16. कटिहार
17. अररिया
18. जमुई
19. लखीसराय
20. सुपौल
21. मुजफ्फरपुर
विदित हो कि उपरोक्त नियमन के तहत बिहार के उपरोक्त पिछड़े इलाकों में 1 अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2020 की अवधि के दौरान जो भी निर्माण इकाई या उद्यम लगाए जाएंगे उन्हें आयकर अधिनियम की धारा 32 (1) (आईआईए) के तहत 15 प्रतिशत अतिरिक्त मूल्य ह्रास और धारा 32 एडी के तहत 15 प्रतिशत निवेश भत्ता पाने का अधिकार होगा. यह लाभ उपरोक्त पिछड़े इलाकों को निश्चित अवधि के दौरान आवश्यक मशीनों को लगाने और संयंत्र की लागत पर दिया जाएगा. ये सारे प्रोत्साहन आयकर अधिनियम के अंतर्गत उपलब्ध अन्य कर लाभों के अतिरिक्त हैं. इस तरह निर्धारित अवधि के अंतर्गत इन क्षेत्रों में जो भी निर्माण इकाइयां और उद्योग लगाए जाएंगे उन्हें 20 प्रतिशत के स्थान पर 35 प्रतिशत का अतिरिक्त मूल्य ह्रास प्रदान किया जाएगा. यह 15 प्रतिशत के सामान्य मूल्य ह्रास के ऊपर है. इसके अलावा जो कम्पनी निर्माण कार्य में संलग्न होगी, उसे भी 1 अप्रैल, 2015 से 21 मार्च, 2017 की अवधि के दौरान नये संयंत्र और मशीनरी के लिए निवेश पर 15 प्रतिशत के स्थान पर 30 प्रतिशत का निवेश भत्ता (25 करोड़ रुपये से ऊपर) दिया जाएगा.
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