लासा बुखार वर्ष 2016 के फरवरी माह में तब चर्चा में आया जब पश्चिमी अफ्रीकी देश बेनिन में नौ लोगों की इस बुखार से संधिग्ध मौत हो गई.
यह बिमारी उस समय चर्चा में आई है जब विश्व पहले से जीका वायरस के लिए एलर्ट पर है, जिसकी अब तक कोई दवा उपलब्ध नहीं है.
बेनिन के चिकित्सा विभाग के अनुसार लासा बुखार के अब तक 20 संधिग्ध मामले मिले हैं जिनमे से 9 लोगों की मृत्यु हो गई है.
लासा बुखार का पहला मामला उत्तरी कौनटनों के तिकौरो नामक शहर के सेंट मार्टिन डे पपने अस्पताल में दर्ज किया गया.
यूएन एजेंसी के अनुसार इस संक्रमण के इलाज के लिए प्रयुक्त होने वाले ‘रिबविरिन’ नामक ड्रग्स को कौनटनों और तिकौरो शहरों में भेज दिया गया है.
इससे पूर्व बेनिन में वर्ष 2014 के अक्टूबर माह में लासा बुखार का ममला पाया गया था.
लासा बुखार के बारे में
• लासा बुखार एक तीव्र वायरल रक्तस्रावी बिमारी है, यह बीमारी लासा विषाणु के कारण होती है. यह एरीना वायरस श्रेणी का विषाणु है.
• लासा बुखार का सम्बन्ध मारबर्ग और इबोला परिवार से है जिसमें संक्रमण के साथ बुखार, उल्टी और रक्तस्राव होता है.
• इसका नाम उत्तरी नाइजीरिया के ‘लासा’ नामक शहर के नाम के आधार पर ही रखा गया जहाँ यह सबसे पहली बार वर्ष 1969 में पाया गया.
• लासा बुखार एक जूनोटिक बीमारी भी है जिसका अर्थ है कि मनुष्य, संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से भी हो सकता है.
• यह विषाणु संक्रमित व्यक्ति के मूत्र ,मल से या संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ से दूषित भोजन या घरेलू वस्तुओं के सीधे संपर्क में आने के माध्यम से या चूहों के माध्यम से फैलता है.
• लासा बुखार का इनक्यूबेशन पीरियड इबोला की तरह ही 6 से 21 दिन का है.
चिक्तिसा
वर्तमान में लासा बुखार से रक्षा के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है. परन्तु यदि शुरवाती अवस्था में एंटी वायरल ड्रग्स रिबविरिन दिया जाए तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है.
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