केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ब्लैकबेरी मोबाइल हैंडसेट से भेजे गए संदेशों को जरूरत पड़ने पर पढ़ने हेतु सुरक्षा एजेंसियों को सुविधा प्रदान करने को आवश्यक बताया. गृह मंत्रालय ने 13 फरवरी 2011 को स्पष्ट किया कि देश में किसी भी मोबाइल फोन सेवा कंपनी को ऐसी हर सेवा रोकनी होगी जिसकी निगरानी पर देश की कानूनी एजेंसियां संतुष्ट नहीं हैं.
ज्ञातव्य हो कि ब्लैकबेरी हैंडसेट बनाने वाली कनाडा की कंपनी रिसर्च इन मोशन (RIM) ने सरकार को ऐसी सुविधा उपलब्ध कराने में तकनीकी असमर्थता जताई थी. गृह मंत्रालय ने रिम को इसके लिए 31 जनवरी 2011 की समय सीमा दी थी.
सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल और एमटीएनएल सहित कुल दस कंपनियां भारत में ब्लैकबेरी सेवाएं मुहैया करा रही हैं. इनमें भारती (एयरटेल), वोडाफोन, आइडिया, रिलायंस कम्युनिकेशन, टाटा डोकोमो, टाटा इंडिकॉम, एयरसेल और लूप मोबाइल (बीपीएल) शामिल हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तर्क दिया कि भारत सरकार के साथ हुए समझौते के तहत मोबाइल सेवा चलाने की लाइसेंस धारक कंपनी की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह रिसर्च इन मोशन (RIM) कंपनी से कहे कि अगर आप निगरानी सुविधा नहीं दे सकते, तो हमारे नेटवर्क का इस्तेमाल नहीं कर सकते.
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